कानपुर के बिकरू गोलीकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे के पिता, पत्नी, भाई और उसकी पत्नी समेत 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से 9 लोगों पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके हथियार लाइसेंस हासिल करने के लिए मुकदमा दर्ज किया गया है. जबकि बाकी 9 लोगों के खिलाफ किसी और की आईडी पर सिम कार्ड प्राप्त करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है.
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फर्जी स्टाम्प दाखिल कर हथियार लाइलेंस लेने वाले आरोपियों में विकास दुबे के पिता रामकुमार दुबे, भाई दीपक दुबे उर्फ दीप प्रकाश और दीपक की पत्नी अंजिल दुबे की शामिल हैं. इसके अलावा विष्णुपाल उर्फ जिलेदार, अमित उर्फ छोटे बउवा, दिनेश कुमार, रवींद्र कुमार, अखिलेश कुमार और आशुतोष त्रिपाठी पर भी फर्जी स्टाम्प दाखिल कर हथियार लाइलेंस लेने का मुकदमा दर्ज हुआ है. वहीं किसी और की आईडी पर सिम कार्ड प्राप्त करने वाले आरोपियों में विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे और भाई दीपक दुबे के अलावा मोनू, रामसिंह, शिवतिवारी, शांति देवी, खुशी, रेखा अग्निहोत्री व विष्णुपाल शामिल हैं.
गौरतलब है कि गत दो-तीन जुलाई की दरम्यानी रात को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र स्थित बिकरू गांव में माफिया सरगना विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई थीं. इस वारदात में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. विकास दुबे को गत नौ जुलाई को मध्य प्रदेश में गिरफ्तार किया गया था वहां से कानपुर लाते वक्त 10 जुलाई की सुबह कथित रूप से एसटीएफ की गिरफ्त से फरार होने की कोशिश के दौरान हुई मुठभेड़ में वह मारा गया था.
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इस मामले में पिछले दिनों कानपुर के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव को भी निलंबित कर दिया था. खिलाफ यह कार्रवाई एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई. पुलिस उपमहानिरीक्षक की रैंक वाले अनंत देव इस समय पीएसी मुरादाबाद में तैनात थे. मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने पुलिस तथा गैंगस्टर विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात उजागर करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी.
पिछले हफ्ते सरकार को सौंपी गई 3500 पन्नों की रिपोर्ट में एसआईटी में 36 सिफारिशें की हैं और 80 पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों की भूमिका के बारे में विस्तार से जिक्र किया है. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, एसआईटी की जांच में यह पता चला है कि पुलिसकर्मियों ने दो जुलाई की रात को वारदात से पहले पुलिस की दबिश के बारे में विकास दुबे को जानकारी दे दी थी, लिहाजा उसने पुलिस पर हमला करने की पूरी तैयारी कर ली थी. एसआईटी ने अनेक आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद दुबे के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने की बात भी अपनी रिपोर्ट में कही.
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एसआईटी ने दुबे और उसके गुर्गों को अदालत से सजा दिलवा पाने में पुलिस की नाकामी का भी जिक्र किया. जांच के दौरान एसआईटी ने विकास दुबे के मोबाइल फोन का पिछले एक साल का रिकॉर्ड भी जांचा जिसमें यह पाया गया कि कई पुलिसकर्मी लगातार उसके संपर्क में थे. अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई वाली एसआईटी में अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रविंदर गौड सदस्य थे. एसआईटी को पहले 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी लेकिन बाद में उसका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था.