Prayagraj News: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज प्रयागराज में इस समय गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है, जिससे बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. हालांकि, जलस्तर बढ़ने की रफ्तार अब कुछ हद तक कम हो गई है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से लगभग ढाई मीटर नीचे बह रहा है, जबकि यमुना नदी भी तीन मीटर नीचे है. बाढ़ के कारण कुछ क्षेत्रों में पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया है और संगम जाने के कई रास्ते पानी में डूब गए हैं.
श्रद्धालुओं के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति
आपको बता दें कि प्रयागराज में इस समय सबसे अधिक परेशानी उन श्रद्धालुओं को हो रही है जो संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं. संगम क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हो चुका है और वहां तक पहुंचने के लिए नावों का सहारा लिया जा रहा है. हालांकि, राहत की खबर यह है कि दोनों नदियों का जलस्तर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी हालात में सुधार होगा.
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प्रशासन का अलर्ट मोड और प्रयास
वहीं बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रयागराज का प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. गंगा और यमुना के अलावा टोंस और ससुर खदेरी जैसी छोटी नदियों का जलस्तर भी खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है. प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगभग सौ बाढ़ राहत चौकियां स्थापित की हैं और चौबीसों घंटे तीन पालियों में एक हाईटेक कंट्रोल रूम का संचालन हो रहा है. निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का भी उपयोग किया जा रहा है.
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बाढ़ का प्रभाव
गंगा के किनारे स्थित दारागंज, सलोरी और बघाड़ा जैसे इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है, जिससे कई घरों में दो से तीन फीट तक पानी जमा हो गया है. नतीजतन, कई लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है. गंगापार के बदरा और सोनौटी गांव के पास लिंक रोड पर भी पानी भर जाने से गांवों का संपर्क टूट गया है.
बाढ़ से निपटने के स्थायी समाधान की आवश्यकता
इसके अलावा आपको बता दे कि हर साल प्रयागराज में गंगा और यमुना की बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित होते हैं और कई रिहायशी इलाकों में पानी भर जाता है. इसके बावजूद, बाढ़ से निपटने के लिए कोई स्थाई समाधान नहीं अपनाया गया है. विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों का सुझाव है कि अगर शहरी इलाकों में गंगा और यमुना के किनारों पर बांध बनाए जाएं तो बाढ़ की समस्या को स्थायी रूप से हल किया जा सकता है.