गोमती रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों का घोटाला सामने आया है. गोमती से जलकुंभी निकालने के नाम मे घोटालेबाजों ने 35 करोड़ उड़ा डाले. इसके साथ ही गोमती में गंदे नालों का पानी रोकने के लिए 270 करोड़ खर्च किये गए. लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ.
इस मामले में सीबीआई ने आरोपित सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव और वरिष्ठ सहायक राजकुमार से पूछताछ की गई. सूत्रों के हवाले से खबर सीबीआई ने दोनों से पूछा कि सपा शासनकाल में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में करोड़ों रुपये के ठेके बिना टेंडर नोटिस जारी किए ही आखिर किसके दबाव में आवंटित हुए थे.
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सीबीआइ ने रूप सिंह यादव से उसके आकाओं के बारे में भी जानकारी हासिल करने का प्रयास किया.
बता दें कि योगी सरकार जब सत्ता में आई तब गोमती रिवर फ्रंट का घोटाला सामने आया. मामले की पड़ताल तीन वर्षों से चल रही है. शुक्रवार को सिंचाई विभाग के तत्कालीन एग्जिक्युटिव इंजिनियर रूप सिंह यादव और एक वरिष्ठ सहयोगी को गिरफ्तार किया गया है.
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रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया गया. वहीं, ईडी इस मामले के आठ में से पांच आरोपियों से पूछताछ भी कर चुकी है. ऐंटी करप्शन ब्रांच ने प्रदेश की योगी सरकार के निर्देश पर नवंबर 2017 में मुकदमा दर्ज किया था.
बताया गया कि यह प्रोजेक्ट तकरीबन 1513 करोड़ रुपये का था. इसमें 1437 करोड़ रुपये काम पर खर्च कर दिए गए लेकिन महज 60 फीसदी भी कार्य पूरा नहीं हो सका.
Source : News Nation Bureau