लॉकडाउन के चलते गंगा जल फिर से होने लगा निर्मल, शुद्ध हवा में लोग ले रहे हैं सांस

गंगाजल में 35 से 40 प्रतिशत का सुधार देखने को मिला है. कारखानों के बंद होने के चलते गंगा में मिलने वाला दूषित जल नदारद है

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कोरोनावायरस संक्रमण के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के लागू होने के कारण राज्य में लोग शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं. गंगा का जल फिर से निर्मल होने लगा है. दावे के अनुसार, गंगाजल में 35 से 40 प्रतिशत का सुधार देखने को मिला है. कारखानों के बंद होने के चलते गंगा में मिलने वाला दूषित जल नदारद है, जिससे पानी स्वच्छ दिख रहा है. आईआईटी बीएचयू केमिकल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर पी. के मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन के शुरू होने से लेकर अब तक गंगा के पानी में सुधार दिखा है. अधिकतर उद्योगों का प्रदूषण गंगा में डिस्चार्ज होता है, कारखानों के बंद होने के चलते वह नहीं पहुंच पा रहा इस कारण भी गंगा साफ हुई है.

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गंगा में होने वाले कुल प्रदूषण में उद्योगों की हिस्सेदारी 10 फीसदी

उन्होंने कहा, "गंगा में होने वाले कुल प्रदूषण में उद्योगों की हिस्सेदारी 10 फीसदी होती है. लॉकडाउन की वजह से उद्योग धंधे बंद हैं, इसलिए स्थिति बेहतर हुई है. यह वैल्यूमवाइज होता है. इसका स्ट्रेन्थ 30 प्रतिशत होता है. यह ज्यादा प्रभावी होता है. यह बीओडी (बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड) लोड इंडस्ट्री से आता है. शेष अन्य जगह से आता है. हालांकि, अभी सीवेज आना बंद नहीं हुआ है." मिश्रा ने बताया कि घाटों के किनारे होने वाली गतिविधियां बंद हैं, जैसे शव जलना, नौकायान या अन्य गतिविधि. इसके कारण भी 5 प्रतिशत गंदगी कम हुई है. वहीं, सीवेज पर लगाम नहीं लग पाई है.

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लॉकडाउन के दौरान हर पैरामीटर में 35 से 40 प्रतिशत असर हुआ

इस दौरान गंगा के काफी साफ होने के संकेत मिल रहे हैं. इसमें घुलित ऑक्सीजन 5 से 6 प्रति लीटर एमजी से बढ़कर 8-9 हो गई है. लॉकडाउन के दौरान हर पैरामीटर में 35 से 40 प्रतिशत असर हुआ है. इस कारण गंगा निर्मल दिख रही है. उन्होंने कहा कि 15-16 मार्च को हुई बरसात के बाद गंगा के जलस्तर में भी वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, "अगर हम लॉकडाउन के पहले और बाद देखें, तो काफी बदलाव देखने को मिलेगा."वहीं कानपुर में मां गंगा प्रदूषण मुक्त अभियान समित भारत के अध्यक्ष राम जी त्रिपाठी ने कहा, "लॉकडाउन में उद्योग धंधे बंद होने कारण थोड़ा बदलाव हुआ है. फैक्ट्रियों के अपशिष्ट इसमें नहीं गिर रहे हैं लेकिन सीवर का पानी अभी भी जा रहा है. इसमें करीब 200 एमलडी पानी गंगा में जा रहा है. इससे कुछ अंश साफ देखने को मिला है.

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औद्योगिक क्षेत्रों में खासा सुधार देखा जा रहा

गंगा अनवरत बहाव से अपने आप साफ हो जाती है. सीवर के पानी पर रोक होता, तो गंगाजल पूरी तरह निर्मल होती."कानपुर के रमेश ने बताया कि लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियां भी बंद हैं, इसकी वजह से गंगा का पानी बहुत साफ नजर आ रहा है. औद्योगिक क्षेत्रों में खासा सुधार देखा जा रहा है, जहां बड़े पैमाने पर कचरा नदी में डाला जाता था. उन्होंने कहा कि गंगा में कानपुर के आसपास पानी बेहद साफ हो गया है. हालांकि, घरेलू सीवरेज की गंदगी अभी भी नदी में ही जा रही है. लेकिन औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बंद ही हो गया है. इसीलिए पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मानिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया.

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