कानपुर हत्याकांड और गैंगस्टर विकास दुबे से जुड़ें हर लोगों पर प्रशासन लगाातार कार्यवाई करने में जुटी हुई हैं. विकास दुबे के घर, संपत्ति और गुर्गों के बाद उसके भाई पर शिकंजा कसा गया है. कानपुर जिलाधिकारी कोर्ट ने गैंगस्टर के भाई समेत बिकरू गांव के 10 लोगों के हथियारों के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं. इन सभी को कोर्ट ने नोटिस भेज कर 20 जुलाई तक जवाब मांगा हैं. यानि कि आज इसका संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो इन सबका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा.
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कानपुर के बिकरू गांव में कुल 14 लोगों के पास असलहा लाइसेंस हैं, दो जुलाई की घटना के बाद सभी की छानबीन चल रही है. पुलिस ने विकास दुबे के भाई, पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत 10 लोगों के लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट डीएम कोर्ट को भेजी दी है। विकास दुबे का भाई दीपक दुबे, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रीता दुबे, रामचंद्र, नीरज कुमार, सत्येंद्र कुमार, रवींद्र, रमेश चंद्र, श्रीकांत शुक्ला, राकेश कुमार समेत छोटे बऊवा के लाइसेंस निलंबति किे गए हैं.
बता दें कि पुलिस जांच में ये बात सामने आ रही है कि विकास को हथियार (देसी पिस्टल) की सप्लाई बिहार से ही होती थी. जानकारी के मुताबिक, सटीएफ और पुलिस के ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन में खुलासा हुआ है कि विकास दुबे का अवैध हथियारों की सप्लाई का भी एक बड़ा नेटवर्क था.
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक गिरफ्तार किए गए विकास के गुर्गों ने बताया है कि घटना की रात विकास के बुलावे पर लाइसेंसी असलहा तो लाए ही थे, फायरिंग में एक दर्जन से ज्यादा अवैध तमंचों का भी इस्तेमाल हुआ. उन्होंने ये भी बताया कि इतनी बड़ी संख्या में अवैध तमंचों की सप्लाई शुक्लागंज, उन्नाव और बिल्हौर के अलावा एमपी से होती थी. कुछ अपग्रेडेड कंट्री मेड (देसी) पिस्टल की सप्लाई बिहार से भी होती थी.
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गौरतलब है कि 2 जुलाई के रात बिकरू गांव में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इस मामले में मुख्य आरोपी विकास दुबे घटना के बाद फरार हो गया था. देशभर की राजनीति में सुर्खियों में रहे इस कांड को लेकर विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा था. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने विकास के छह पांच गुर्गों को मुठभेड़ में मार गिराया. 10 जुलाई को यूपी एसटीएफ विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही थी. पुलिस की गिरफ्त से भागने के दौरान विकास दुबे को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया.