Advertisment

पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से बंद होने के कगार पर गोरखपुर का टीबी अस्पताल, प्रदर्शन 

 गोरखपुर में साल 2015 में लगभग 18 करोड़ की लागत से 100 बेड का अस्पताल बनाया गया लेकिन संसाधनों के अभाव में यह अस्पताल अब बंद होने के कगार पर है

author-image
Mohit Sharma
New Update
पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से बंद होने के कगार पर गोरखपुर का टीबी अस्पताल, प्रदर्शन 

Gorakhpur TB hospital ( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

 गोरखपुर में साल 2015 में लगभग 18 करोड़ की लागत से 100 बेड का अस्पताल बनाया गया लेकिन संसाधनों के अभाव में यह अस्पताल अब बंद होने के कगार पर है. इस अस्पताल को कोविड के समय लेवल3 का कोविड अस्पताल बनाया गया और करोड़ो की मशीनें यहां पर इंस्टाल की गई लेकिन वो अब अब धूल फांक रही हैं. यहां पर ना तो मेडिकल स्टाफ है और ना ही जरूरत के हिसाब से डॉक्टर. और तो और जो नर्स और दूसरे कर्मचारी यहां पर काम कर रहे थे उन्हें भी निकाला जा रहा है.

गोरखपुर के एयरफोर्स स्‍टेशन के पास 8 दिसम्‍बर 2011 को 100 बेड के इस चारूचंद्र दास राजकीय टीबी अस्‍पताल का शिलान्‍यास किया गया. 18 करोड की लागत से बने इस अस्‍पताल में टीबी के साथ जनरल ओपीडी भी होती है. लेकिन संसाधनों से भरपूर इस अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टर की बेहद कमी है. यहां पर कोविड के पहले और दूसरे लहर के दौरान करोड़ों रुपए खर्च कर दर्जनों वेंटिलेटर मशीनें भी लगाई गई लेकिन आज स्थिति यह है कि मशीनों को चलाने के लिए टेक्निकल स्टाफ नहीं है. इस अस्पताल में ईसीजी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, ऑपरेशन थियेटर की हर वो मशीन मौजूद है जो किसी भी हाइटेक अस्पताल में होनी चाहिए लेकिन इन्हें चलाने वाले लोगों की नियुक्ति नही होने की वजह से पिछले 6 साल से यह मशीनें धूल फांक रही हैं. 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अस्पताल टीबी के मरीजों के लिए स्पेशल बनाया गया था लेकिन यहां पर टीबी का कोई डॉक्टर ही नहीं है. इस अस्पताल में कुल 10 डॉक्टरों के पद सृजित हैं जिसमें से मात्र दो से तीन ही डॉक्टर अस्पताल आते हैं बाकियों के कमरे पर ताला लगा रहता है. साल 2016 में यहां पर 45 संविदा पर नर्सों की नियुक्ति की गई थी जो अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था को किसी तरह से खींच रहे थे लेकिन इनको भी अब हटा दिया गया है जिसकी वजह से यह अस्पताल के गेट पर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. लखनऊ की एक फर्म के जरिए यह सभी संविदा कर्मी इस अस्पताल से जुड़े थे पर उसने इनका इस साल नवीनीकरण नहीं किया है जिसकी वजह से पिछले कई महीने से इनकी सैलरी भी नहीं आई है. 

धरने पर बैठे इन कर्मचारियों का मानना है कि दुबारा यहां भर्ती करने के पीछे लेन देन का बड़ा मामला है और उनके भविष्‍य के साथ यहा पर खिलवाड किया जा रहा है. अपनी मांगो को लेकर यह सभी 45 कर्मचारी पिछले कई दिन से इस अस्पताल के गेट पर पर धरना दे रहे हैं पर अब तक इनके भविष्‍य का फैसला नही हो पाया है. इन नर्सों ने आज यहां पर गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का घेराव भी किया और उनसे भी अपनी पीड़ा बताई लेकिन गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि संविदा कर्मियों को रखने और हटाने का अधिकार उनके कार्यक्षेत्र में नहीं है. वहीं अस्पताल में डॉक्टरों और टेक्निकल स्टाफ की किल्लत तो यह मान रहे हैं लेकिन यह समस्या खत्म कैसे होगी इसका उपाय इनको भी नजर नहीं आ रहा है. 

गोरखपुर में पहले से ही स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में कर्मचारियों की कमी है और यह 45 कर्मचारी जो इस अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था को कुछ सम्भाल रहे थे, उनको भी हटा दिया जा रहा है. गोरखपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में स्वास्थ्य व्यवस्था और सुविधाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. जहां पर डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ मौजूद है वहां संसाधन और सुविधाओं की किल्लत है और जहां सब कुछ है वहां इसे संचालित करने वाले लोग ही नही हैं. 

Source : Deepak Shrivastava

Gorakhpur News Gorakhpur News in Hindi गोरखपुर Latest Gorakhpur News Gorakhpur TB hospital गोरखपुर का टीबी अस्पताल
Advertisment
Advertisment
Advertisment