ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के लिए अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा को कोर्ट ने हटा दिया है. उनपर सर्वे संबंधित सूचनाएं लीक करने का आरोप लगा था. आरोप लगाने वाला उनका ही सहयोगी एडवोकेट कमिश्नर हैं. मिश्रा ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी—सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर (अधिवक्ता आयुक्त) नियुक्त किये गये थे. अजय मिश्रा को उनके एक सहयोगी द्वारा मीडिया में खबरें लीक करने के आरोप में मंगलवार को पद से हटा दिया. सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया है.
वहीं, अधिवक्ता आयुक्त पद से हटाए गए अजय मिश्रा ने अपनी सफाई में कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है और जो भी हुआ, उन्हें उसकी उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा, ‘मैंने जिस फोटोग्राफर को रखा, उसने धोखा दिया है. मैंने जिस पर विश्वास किया, उससे मुझे धोखा मिला. इसमें मैं क्या कर सकता हूं.’ इस सवाल पर विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने उन पर असहयोग का आरोप लगाया है, मिश्रा ने कहा, ‘हो सकता है कि उनको लगा होगा. मेरे हिसाब से मैंने कोई असहयोग नहीं किया.’
मिश्रा ने कहा, ‘आयोग की कार्यवाही विशाल सिंह के ही निर्देशन में हुई. अब विशाल जी का हृदय ही जानेगा और मेरा हृदय जानेगा कि मैंने उनका सहयोग किया है या नहीं.’एडवोकेट कमिश्नर के पद से हटाए गए अजय मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि वह स्थानीय अदालत के आदेश का सम्मान करेंगे, जबकि परिणाम के लिए वे विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह को दोषी ठहराते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है जिससे मामले की गोपनीयता का पता चले. एडवोकेट विशाल सिंह के आरोपों के कारण मुझे हटा दिया गया था. जो कुछ भी हुआ है वह केवल (उनकी) वजह से हुआ है.’
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दरअसल, ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे के काम के लिए अदालत द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह पर आयोग की कार्यवाही में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया था. विशाल सिंह ने अदालत के सामने कहा, ‘अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा ने एक निजी कैमरामैन आर. पी. सिंह को वीडियोग्राफी सर्वे के लिए रखा था जो मीडिया में लगातार गलत बयान दे रहे थे. इसीलिए सिंह को सोमवार को आयोग की कार्यवाही से अलग रखा गया था.’
जब कोई अधिवक्ता एडवोकेट कमिश्नर के रूप में नियुक्त किया जाता है तब उसकी स्थिति एक लोक सेवक की होती है और उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह कमीशन की कार्यवाही का संपादन पूरी निष्पक्षता और ईमानदारी से करेगा, जबकि अजय मिश्रा ने अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन बेहद गैर जिम्मेदाराना तरीके से किया. अदालत ने विशाल सिंह के प्रार्थना पत्र को निस्तारित करते हुए अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा को तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश दिए. अदालत ने कहा, ‘विवेचना से यह स्पष्ट हो चुका है कि अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा द्वारा जो निजी कैमरामैन रखा गया था उसने मीडिया में बराबर बाइट दी जो कि न्यायिक मर्यादा के सर्वाधिक प्रतिकूल है.’
अदालत ने साथ ही कहा कि विशाल सिंह ही 12 मई के बाद की आयोग की पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट खुद दाखिल करेंगे और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह, विशाल सिंह के निर्देशन में ही काम करेंगे और स्वतंत्र रूप से कुछ भी नहीं कर सकेंगे. अदालत ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिये दो और दिन का समय दिया है क्योंकि इलाके के नक्शे बनाने में कुछ समय लग रहा है. ऐसे में संभव है कि सर्वे रिपोर्ट 19 मई को अदालत में पेश की जाए. पहले यह रिपोर्ट 17 मई को ही पेश की जानी थी.