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Hathras Stampede: क्या है Compression Asphyxia, भगदड़ में जिसकी वजह से चली जाती है लोगों की जान

Compression Asphyxia: हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ. या तो लोगों की भीड़ जमीन पर गिरे लोगों को कुचलते हुए निकल गए या फिर उनके ऊपर गिर पड़े.

Updated on: 03 Jul 2024, 06:31 PM

New Delhi:

Compression Asphyxia: हाथरस के सिकन्द्राराऊ कस्बे में घटी दर्दनाक घटना ने पूरे देश के हिला कर रखा दिया है. यहां कल यानी मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 116 लोगों की जान चली गई. मरने वालों में 111 महिलाएं हैं. खास बात यह है कि सभी मरने वालों की बॉडी पर न तो कई निशान है और न ही कोई ब्लीड़िंग है. ऐसे में लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि जब कोई चोट या रक्तस्राव नहीं हुआ तो फिर लोगों की जान कैसे चली गई. मेडिकल टर्म की बात करें तो इस घटना को कंप्रेशन एसफ्किस्सिया (Compression Asphyxia) या चेस्ट कंप्रेशन कहते हैं. इस क्रम आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर भगदड़ के दौरान बिना किसी जख्म और चोट के लोगों की जान कैसे चली जाती है. क्योंकि दुनियाभर में जब-जब भी कहीं कोई भगदड़ हुई है, लोगों की जान केवल और केवल Compression Asphyxia की वजह से ही गई है. 

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दरअसल, ऐसा तब होता है जब किसी बाहरी दबाव की वजह से चेस्ट पर इतना प्रेशर बन जाती है कि सांस रुक जाती है. इस घटना में इंसान के फेफड़े इस कदर कुचले जाते हैं कि वो दिल तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाते और व्यक्ति की जान चली जाती है. ऐसा तब होता है जब भीड़ किसी इंसान को बुरी तरह से दबा दे और शरीर पर ज्यादा दबाव पड़ जाए. इस स्थिति में सांस लेने में ऐसा अवरोध पैदा हो जाता है, कि छाती या पेट पर दबाव बनने की वजह से सांस नहीं आ पाता. दबाव की वजह से फेफड़े बिल्कुल सिकुड़ जाते हैं और पहली वाली स्थिति में नहीं लौट पाते. 

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हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ. या तो लोगों की भीड़ जमीन पर गिरे लोगों को कुचलते हुए निकल गए या फिर उनके ऊपर गिर पड़े. इस स्थिति में भीड़ का दबाव मरने वालों के फेफड़ों को अंदरूनी तौर पर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर गया होगा. बाहर से मरने वाले भले ही ठीक लग रहे हों. भले ही उनके शरीर पर कोई खून या चोट के निशान न हों, लेकिन उनके फेफड़े जरूर क्षतिग्रस्त हो गए होंगे, जिससे कि उनकी बॉडी में सांस का पूरा सिस्टम टूट गया. विशेषज्ञों की मानें तो भगदड़ के दौरान भीड़ लोगों की छाती पर पैर रख कर गुजरती है, जिससे उनके फेफड़ों के पास डायफ्राम सिकुड़ने लगता है. इसके अलावा सपाट होने की स्थिति में यह बिल्कुल भी काम नहीं कर पाता और शरीर में ऑक्सीनज का लेवल गिरने लगता है. इस प्रक्रिया में ब्रेन और हॉर्ट में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाती है और शख्स की मौत हो जाती है.