उत्तर प्रदेश के मेरठ-प्रयागराज गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण की तैयारी अब तेज हो गई है. सूबे का अब तक का सबसे बड़ा 594 किमी लंबा गंगा एक्सप्रेस-वे प्रयागराज से मेरठ होते हुए उत्तर प्रदेश के विकास की नई इबारत लिखने की तैयारी में है. गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए अब तक 56 फीसदी से अधिक का क्लीयरिंग एंड ग्रबिंग का कार्य पूरा किया जा चुका है. यही नहीं एक्सप्रेस-वे के लिए लगभग 6966 हेक्टेयर यानी 94 प्रतिशत से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है.
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बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की शुरुआत के बाद अब गंगा एक्सप्रेस-वे योगी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है. केंद्र सरकार ने इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए 13 जुलाई को इंवायरमेंटल क्लीयरेंस भी दे दिया है. इसके बाद से एक्सप्रेस-वे के निर्माण में और तेजी आ गई है.
शाहजहांपुर में हवाई पट्टी बनाया जाएगा
गंगा एक्सप्रेस-वे प्रदेश का छठा और सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा. यही नहीं एक्सप्रेस-वे पर आपातकालीन स्थिति में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के लैंडिंग/टेकऑफ के लिए शाहजहांपुर में 3.5 किमी लंबी हवाईपट्टी भी विकसित की जानी है.
परियोजना से किसको मिलेगा ज्यादा फायदा
इस एक्सप्रेस-वे के दोनों किनारों पर (मेरठ, हापुड़, बरेली, मुरादाबाद, हरदोई, लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज) में इंडस्ट्रीयल हब बनाने के लिए सरकार की तरफ से यूपीडा का अधिकृत किया गया है. एजेंसी का चयन कर इंडस्ट्रीयल हब को विकसित करने का कार्य तेजी के साथ कराया जा रहा है.
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औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में कैसे सहायक होगा एक्सप्रेस-वे?
गंगा एक्सप्रेस-वे से सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा. एक्सप्रेस-वे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडार गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा.