कोरोना महामारी जब चरम पर थी, तब उत्तर प्रदेश के आगरा की एक तस्वीर वायरल हुई थी. इस तस्वीर में एक महिला अपने पति की जान बचाने के लिए मुंह से सांस दे रही थी. पति को चार अस्पतालों से यह कहकर लौटा दिया गया था कि बेड नहीं है. पति की टूट रही सांसों को बचाने के लिए वह उसे सीपीआर देती रही लेकिन पति को नहीं बचा पाई. इस तस्वीर के वायरल होने के बाद तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर कॉमेंट किए लेकिन किसी ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की, कि उस महिला का क्या हुआ. न्यूज नेशन/न्यूज स्टेट ने महिला का पता लगाया तो पता चला कि उसका नाम रेनू सिंघल है. उसके पति का नाम रवि सिंघल था. जो अब अपने पति की मौत के बाद रोजी रोटी को मोहताज हैं. वो सरकार से कुछ उम्मीद लगाए बैठी हैं कि शायद सरकार उनके लिए हाथ आगे बढ़ाएगी.
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क्या हुआ था घटनाक्रम
पीड़ित रेनू ने बताया कि रवि की बीमारी 17 अप्रैल को हल्के बुखार के साथ शुरू हुई थी. कुछ दिन बाद ही वह मुश्किल से सांस ले पा रहे थे. 23 अप्रैल तक उनकी हालत गंभीर हो गई थी. 'मैंने एक ऑटो किराए पर लिया और उन्हें पास के अस्पताल ले गई. मुझे बताया गया कि उनके पास ऑक्सिजन नहीं है. मैंने दो अन्य अस्पतालों में उन्हें भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन उनके पास कोई बेड नहीं था. फिर, मुझे सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज, एक सरकारी अस्पताल जाने के लिए कहा गया.' मेडिकल कॉलेज पहुंचने से पहले वह होश खोने लगे, रेनू ने कहा कि उनकी वो तड़प में देख नही पा रही थी. कोई उनकी मदद को आगे नहीं आ रहा था. एक समय ऐसा आया कि उनका शरीर अकड़ने लगा. सांस बंद होने लगी तो मैंने उन्हें मुंह से सांस दी लेकिन उन्हें नहीं बचा सकी.'
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पीड़ित रेणु के अनुसार, वो अपनी एक बेटी के साथ आगरा के आवास विकास कॉलोनी में 2,500 रुपये महीने किराए के एक छोटे से मकान में रहती है. वह टूट चुकी है. 43 वर्षीय रेनू ने कहा, 'मेरी बेटी भूमि 16 साल की है, जो दसवीं कक्षा की छात्रा है. मेरे पति परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे. अब परिवार के पास कोई बचत नहीं है. रेनू ने कहा, 'मैं पेट भरने तक के लिए कुछ नहीं कर पा रही. मुझे अपनी बेटी के लेकर चिंता है. मैं सीएम योगी आदित्यनाथ से अनुरोध करती हूं कि हमारी कुछ मदद करें.' वो चाहती हैं कि उनकी बेटी को सरकारी नौकरी और एक छोटा सा घर मिले ताकि उनका परिवार जीवन यापन कर सके.