लिव-इन रिलेशन को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला, कहा- किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं

लिव-इन रिलेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जीवन की स्वतंत्रता में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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लिव-इन रिलेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जीवन की स्वतंत्रता में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं. किसी को भी बालिग जोड़े के शांतिपूर्ण जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशन में रह रहे याचियों को छूट दी है. यदि उनके जीवन की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप करे तो एसपी फर्रूखाबाद से शिकायत करें. कोर्ट ने एसपी फर्रूखाबाद को नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. जहानगंज फर्रूखाबाद की कामिनी देवी व अजय कुमार की याचिका पर सुनवाई हुई.

याची का आरोप था कि उसके परिवार वाले उम्र में काफी बड़े व्यक्ति से जबरन शादी कराना चाहते हैं. याची कामिनी देवी दूसरे याची अजय कुमार से प्रेम करती है. वह उसी के साथ लिव-इन-रिलेशन में रह रही है. परिवार को उसका रिश्ता पसंद नहीं है और उसे परेशान कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि अन्य देशों की तरह भारत में लिव-इन-रिलेशन स्वीकार्य नहीं है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में अनुच्छेद 21के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार को संरक्षण प्रदान किया है. जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने आदेश दिया. 

Source : News Nation Bureau

Court article 21 live-in-relation Allahabad High Court instructions
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