अपराध करने के 55 दिनों के भीतर एक आरोपी को 18 महीने की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है. बहराइच की एक अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया. दोषी परशुराम की गिरफ्तारी से लेकर उसकी सजा तक की पूरी कार्यवाही में 55 दिन लगे, जो पुलिस के अनुसार एक रिकॉर्ड है. ट्रायल केवल आठ कार्य दिवसों में समाप्त हो गया था. यह घटना 22 जून की है, जब 30 वर्षीय परशुराम ने एक स्कूल में बच्ची के साथ दुष्कर्म किया, जहां उसकी मौत हो गई. उसे एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था जिसमें उनके पैर में गोली लगी थी.
बहराइच पुलिस का सराहनीय काम
गोरखपुर जोन के अतिरिक्त महानिदेशक, अखिल कुमार ने कहा कि बहराइच पुलिस द्वारा सावधानीपूर्वक साक्ष्य संग्रह और चार्जशीट दाखिल करने के कारण रिकॉर्ड समय में दोषसिद्धि सुनिश्चित की गई. पुलिस अधीक्षक, बहराइच, सुजाता सिंह, जिन्होंने जांच का नेतृत्व किया, उन्होंने कहा कि आरोपी पर बलात्कार, हत्या और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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28 दिनों में आरोपपत्र दायर
उन्होंने कहा, 'हमने सुनिश्चित किया कि सभी सबूत एकत्र किए गए और 28 दिनों में आरोप पत्र दायर किया गया. नमूने तेजी से एकत्र किए गए थे, गोरखपुर में नई एफएसएल प्रयोगशाला ने 37 दिनों में डीएनए रिपोर्ट दी.' मामले की सुनवाई 2 अगस्त से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (बलात्कार और पॉक्सो एक्ट आई) नितिन पांडे की अदालत में हुई. अदालत ने अभियोजन पक्ष के तालमेल के चलते 12 अगस्त को महज आठ कार्यदिवसों में परशुराम को दोषी करार दिया.
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अपराधियों को मिलेगा कड़ा संदेश
अधिकारी ने कहा, 'रिकॉर्ड समय में फैसला समाज में अपराधियों को एक कड़ा संदेश देगा.' अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बहराइच पुलिस को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है, जबकि डीजीपी मुकुल गोयल ने मामले के जांच अधिकारी को प्रशस्ति पत्र और एफएसएल टीम के साथ पर्यवेक्षी अधिकारियों को प्रशंसा पत्र देने की घोषणा की है.
HIGHLIGHTS
- बहराइच का है मामला, 28 दिनों में आरोप पत्र
- एफएसएल लैब ने 37 दिनों में दी डीएनए रिपोर्ट
- अदालत ने आठ कार्यदिवसों में करार दिया दोषी