उत्तर प्रदेश की राजधानी में अचानक मांग बढ़ जाने के कारण अब आटे की किल्लत शुरू हो गई है. आटा मिलों के पास गेहूं की कमी के कारण यह दिक्कत शुरू हुई है. आलम यह है कि इसे देखते हुए करोबारियों ने आटा महंगा कर दिया है. अब कई जगहों पर 30 से 50 रुपये किलो तक की दर पर आटा बिकने लगा है.
कुछ व्यपारियों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण सप्लाई रुक गई है. मिलों तक गेहूं नहीं पहुंच पा रहा है, इसलिए यह समस्या बढ़ गई है. हालांकि सरकार ने इस पर ध्यान देना शुरू किया है, लेकिन अभी भी परेशानी दूर नहीं हो सकी है.
गोमती नगर की रहने वाली सीता ने बताया कि उनके इलाके में आटा नहीं मिल रहा है. स्थिति यह है कि गांव में छोटी-बड़ी 20 से ज्यादा दुकानें हैं, लेकिन कुछ ही जगह आटा उपलब्ध है. जिनके यहां है, वे लोग 40 रुपये किलो की दर पर आटा बेच रहे हैं. उनका कहना है कि थोक व्यापारी मंहगा दे रहे तो महंगा बेचना उनकी मजबूरी है.
उधर, आलमबाग के एक दुकानदार ने बताया कि थोक व्यापारी के यहां भी आटा मिल नहीं रहा है. जिसके पास रहता है, उसके यहां बहुत लंबी कतार में लगाना पड़ता है. इस समय थोक विक्रेता के पास आटा 35 रुपये किलो बिक रहा है, इसलिए भाव बढ़ाया गया है. आटा के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि व्यापारियों ने जिला प्रशासन से पहले ही कह दिया है कि इस समय गेहूं मिलने में परेशानी है. इस समय आढ़त में गेहूं लॉकडाउन की वजह से नहीं आ पा रहा है. दूसरी बात कि लगातार ओले पड़ने की वजह से कई जगह फसल भी बर्बाद हो चुकी है. इस कारण भी आढ़त में गेहूं की आवक कम हो गई है. गेहूं की किल्लत और मिलों के बंद होने से आटा तैयार नहीं हो पा रहा है.
मिल मालिकों का कहना है कि उन्हें अगर पर्याप्त मात्रा में गेहूं मिल जाए तो वे कुछ ही दिनों में आटा तैयार कर मार्केट में पहुंचा देंगे. इसके लिए वे सरकारी दर पर आटा खरीदने को भी तैयार हैं.
बाजार में आटे की किल्लत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 'अपना किचन' शुरू करने के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम ने खुद बाराबंकी से आटा मंगाया था. ऐसे में खुद सरकारी विभाग भी आटे के लिए परेशान है.
Source : News Nation Bureau