अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने या न करने को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के मद्देनजर मुख्य वादी इकबाल अंसारी ने कहा कि वह इसमें पक्षकार नहीं बनना चाहते और बोर्ड जो चाहे वह कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि एआईएमपीएलबी की बैठक के बारे में ‘कोई सूचना नहीं मिली’ है. अंसारी (53) ने कई अन्य स्थानीय मुस्लिम नेताओं के साथ हाल ही में कहा था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में ऐतिहासिक फैसले के अनुसार मस्जिद बनाने के लिए आवंटित पांच एकड़ जमीन अयोध्या में सरकार द्वारा अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि के दायरे में ही दी जानी चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या बोर्ड ने उन्हें इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए कहा है, इस पर अंसारी ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि बोर्ड (एआईएमपीएलबी) रविवार को इस पर फैसला लेने के लिए बैठक कर रहा है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की जाए या नहीं. मुझे इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है.’
उन्होंने कहा, ‘बोर्ड जो भी करना चाहे वह कर सकता है. मैं इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता. मुझे लगता है कि फैसले से लंबे समय से चल रहा विवाद हल हो गया है और समाज को इसे मानना चाहिए.’ इस बीच, दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रामजन्मभूमि के समीप स्थित कोटिया पंजीटोला कॉलोनी में बुधवार देर शाम को अंसारी से उनके घर पर मुलाकात की. सूत्रों ने बताया कि मुलाकात के दौरान अधिकारियों ने अंसारी से इस मुद्दे की संवेदनशीलता केा देखते हुए ‘बयान देने में एहतियात’ बरतने के लिए कहा. अंसारी 2016 में अपने पिता हाशिम अंसारी के निधन के बाद मुख्य वादी बन गए थे.
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हाशिम अंसारी 1949 से इस मुकदमे को लड़ रहे थे. हाशिम अंसारी को पुलिस सुरक्षा दी गयी थी जो अब उनके बेटे को भी दी गयी है. उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से दिए फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुये केन्द्र को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिये किसी वैकल्पिक लेकिन प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाये. फैसले के तुरंत बाद एआईएमपीएलबी ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि वह यह फैसला लेने के लिए जल्द ही अपनी कार्यकारी समिति की बैठक करेगी कि फैसले पर पुनर्विचार की मांग की जाए या नहीं. अंसारी ने कहा कि वह निजी रूप से ‘पुनर्विचार के पक्ष में नहीं हैं.’
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