Advertisment

इंसेफेलाइटिस: पूर्वी उत्तर प्रदेश में कब थमेगा मौतों का सिलसिला

शासन के लाख दावों के बावजूद इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल के मासूमों पर कहर बन कर टूट रही है। दिमागी बुखार से हर साल सैंकड़ों बच्चे इस बीमारी के चपेट में आते है

author-image
vinita singh
एडिट
New Update
इंसेफेलाइटिस: पूर्वी उत्तर प्रदेश में कब थमेगा मौतों का सिलसिला

इंसेफेलाइटिस: हर साल सैंकड़ों बच्चे आते है चपेट में

Advertisment

गोरखपुर के बीआरडी हॉस्पिटल में इंसेफेलाइटिस (जापानी बुखार) के कारण कई मासूमों ने अपनी जान गंवा दी। सरकार ने जांच के आदेश समेत स्थिति को काबू में करने के लिए कई दावे किये। लेकिन शासन के लाख दावों के बावजूद इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल के मासूमों पर कहर बन कर टूट रही है।

यूपी के सिद्धार्थनगर जिले मे यह बीमारी एक बार फिर पांव पसार चुकी हेै। यहां दिमागी बुखार से हर साल सैंकड़ों बच्चे इस बीमारी के चपेट में आते है और उसमे से दर्जनो बच्चो की मौत हो जाती है।

इस साल सरकारी आंकड़ों मे अब तक 130 बच्चे दिमागी बुखार की चपेट मे आ चुके है जिसमे 24 मौत भी हो चुकी है। हांलाकि की गैर सरकारी आंकड़ों मे मरने वाले बच्चो की संख्या 30 है। जिले मे इंसेफेलाइटिस की रोकथाम को लेकर चलायी जा रही योजनाएं सिर्फ हवा-हवाई साबित हो रही हैं।

इंसेफेलाइटिस एक जानलेवा दुर्लभ बीमारी होती है जो दिमाग में 'एक्यूट इंफ्लेमेशन के कारण होती है। मेडिकल न्यूज टूडे के अनुसार, मेडिसीन क्षेत्र में 'एक्यूट' का शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब बीमारी अचानक दिखाई देती है और तेजी से बढ़ती है।

गोरखपुर: BRD मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस का कहर जारी, तीन दिन में 34 मासूमों की मौत

इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीज को तुंरत इलाज की आवश्यकता होती है। ये मच्छर के काटने से होने वाला वायरल बुखार होता है। इसमें अगर मरीज जीवित बच भी गया तो पैरालासिस का शिकार होने की आशंका बनी रहती है।

सिद्धार्थनगर के जिला अस्पताल के इंसेफेलाइटिस वार्ड में पीडित बच्चों की संख्या घटने के बजाए लगातार बढती जा रही है। साथ ही पीड़ित के परिजनों के पास सिवाय आंसू बहाने के और कोई चारा नहीं है।

दिमागी बुखार से प्रभावित जिलों मे आने के बावजूद जिले के गांवों मे गंदगी का अंबार लगा हुआ है। गांव के लोग गंदगी में जीने को मजबूर है। दवा छिडकाव की बात तो दूर इन्हें साफ पानी तक नसीब नही है।कहने के लिए तो स्वास्थ्य विभाग गांव मे दवा का छिड़काव तो करा रहा है लेकिन दिमागी बुखार है कि रूकने का नाम नहीं ले रहा है।

स्वस्थ्य विभाग यूपी के पूर्वांचल मे महामारी का रूप ले चुकी इस जानलेवा बीमारी पर हर साल करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाता है लेकिन स्थिती जस की तस बनी रहती है।

झारखंड: अस्पतालों में इंसेफिलाइटिस, निमोनिया से 800 से ज्यादा बच्चों की मौत

Source : News Nation Bureau

gorakhpur Japanese Encephalitis Eastern UP brd hospital
Advertisment
Advertisment