यूपी चुनाव की तारीख की घोषणा होते ही कैराना एक बार फिर से सुर्खियों में है. केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह का दौरा और समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद फिर से कैराना की चर्चा तेज हो गई है. अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के कैराना में डोर टू डोर कैंपेन कर यूपी चुनाव में अपने संदेश को जाहिर कर दिया है. बीजेपी नेता ने यहां आकर पलायन का मुद्दा उठाकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है. यहां के लोगों से शाह ने साफ कहा है कि जनवरी 2014 के बाद कैराना आया हूं. यहां के लोग पहले पलायन करते थे. अब कैराना में कोई भय नहीं है. इस संदेश से साफ है कि वह यहां से किस तरह के संदेश देना चाहते हैं. वहीं कैराना से सपा के उम्मीदवार नाहिद हसन को बनाया गया है जिसे पर्चा दाखिल दाखिल करने के बाद यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. कैराना में हिंदुआों के पलायन के मुद्दे को लेकर नाहिद काफी चर्चा में रहे थे.
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चुनाव से ठीक पहले अमित शाह के दौरे और नाहिद की गिरफ्तारी के बाद कैराना इन दिनों सुर्खियों में है. 6 फरवरी 2021 को पुलिस प्रशासन ने सपा विधायक नाहिद हसन व उनकी माता पूर्व सांसद तबस्सुम बेगम सहित 40 लोगों पर गैंगेस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था. देखा जाये तो नाहिद की अचानक गिरफ्तारी के सियासी हलको में कई मायने निकाले जा रहे हैं. नाहिद को चुनाव के ठीक पहले गिरफ्तार किया गया है जिससे बीजेपी निश्चित रूप से अपने पक्ष में भुनाने का प्रयास कर सकती है जबकि समाजवादी पार्टी भी इस गिरफ्तारी को लेकर एक खास वर्ग में अपनी चुनावी लेने की कोशिश करेगी. चुनाव से पहले नाहिद की गिरफ्तारी को लेकर सपा भी बीजेपी पर निशाना साध रही है. जबकि अमित शाह ने कैराना का दौरा कर अपना संदेश भी जाहिर कर दिया है.
इस बार भी कैराना मुद्दा उछालकर हिंदू वोट बैंक पर है नजर
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कैराना से तत्कालीन सांसद दिवंगत हुकुम सिंह ने यहां से हिन्दुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था. उस दौरान हिंदू पलायन का मुद्दा देश की सुर्खियां बना था. अब किसान आंदोलन से पश्चमी यूपी में बैकफुट पर आ चुकी बीजेपी कैराना मुद्दा को चुनाव में जनता के बीच ले जाना चाहती है. बीजेपी यहां कानून व्यवस्था और 2017 से पहले कुछ हिंदू परिवारों के पलायन को बड़ा मुद्दा बनाने में जुटी है. कैराना पहुंचकर अपना चुनावी प्रचार का आगाज करते हुए उन्होंने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ने पलायन कर चुके लोगों से मुलाकात कर विपक्षी दलों को भी स्पष्ट संदेश दिया है. वर्ष 2017 में बीजेपी ने यहां से कुछ हिंदू परिवारों के पलायन को बड़ा मुद्दा बनाया था और पार्टी को इसका फायदा भी मिला था. बीजेपी इस चुनाव में भी इस मुद्दे को उछालकर अपने हिंदू वोटों को साधने में जुट गई है. बीजेपी का दावा है कि योगी सरकार बनने के बाद पलायन थम गया है और जो लोग शहर से बाहर चले गए थे वे वापस आ चुके हैं.
जाट वोट बैंक पर नजर
यूपी के राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कहीं न कहीं पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन की वजह से भाजपा की जमीन खिसकी है. जिसकी वजह से अमित शाह एक बार फिर कैराना पलायन की याद दिला रहे हैं. पश्चिमी यूपी में कहावत है 'जिसके जाट उसके ठाट'. यह कहावत राजनीति पर बिलकुल सटीक बैठती है. यूपी की राजनीति में जिसने भी जाटों को साध लिया उसे सत्ता मिल जाती है. वर्ष 2017 के चुनावों में कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा को जोर-शोर से उठाया गया था. उस वक्त बीजेपी का आरोप था कि 2013 के दंगों के बाद से कैराना से बड़े पैमाने पर हिंदुओं का पलायन हुआ है. बीजेपी के इस मुद्दे को उठाने का नतीजा यह रहा कि हिंदुओं का पलायन मुद्दा सिर्फ कैराना तक नहीं बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हावी रहा था.
पूरा जोर लगा रही बीजेपी
चुनावी रणनीति के जानकार की मानें तो पश्चिमी यूपी में किसानों की नाराजगी अभी भी बनी हुई है. किसान आंदोलन के बाद बीजेपी पूरा जोर लगा रही है कि जाट मतदाता उनके पक्ष में आकर उन्हें वोट करें. तीनों कृषि कानूनों की वापसी करने के बाद बीजेपी पहले ही डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करने में जुटी है. इससे पहले भी वर्ष 2017 विधानसभा चुनावों और 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को पश्चिमी यूपी से जाट वोटों का अच्छा समर्थन मिला था. आरएलडी जैसे क्षेत्रीय दल होने के बावजूद भी जाट मतदाताओं ने मोदी पर विश्वास जताया था. बीजेपी चाहती है कि चुनाव से पहले जाट मतदाता उनके पक्ष में आकर फिर से यूपी की सत्ता दिलाने में अपनी भूमिका निभाएं. कैराना से गृहमंत्री अमित शाह का चुनाव प्रचार करना यही संकेत दे रहा है.
नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद बहन इकरा हसन ने किया पर्चा दाखिल
कैराना सीट पर समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद अब उनकी बहन इकरा हसन ने पर्चा दाखिल किया है. इकरा ने एक पर्चा समाजवादी पार्टी के सिंबल के तौर पर भरा है जबकि दूसरा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भरा है. यदि नाहिद हसन का नामांकन निरस्त किया जाता है तो वह एहतियात के तौर पर उनकी जगह चुनाव लड़ सकेंगी. अभी तक कैराना से नाहिद हसन ही सपा के उम्मीदवार हैं.
HIGHLIGHTS
- अमित शाह ने कैराना में डोर टू डोर कैंपेन कर अपने संदेश को जाहिर किया
- कैराना से नाहिद हसन को फिर से सपा के उम्मीदवार बनाने से विवाद
- पिछले विधानसभा चुनाव में हिंदू पलायन का मुद्दा देश की सुर्खियां बना था