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कल्याण सिंह को रैली के बीच में आया फोन- 'आपकी कुर्सी चली गई' और फिर...

कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बने और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे

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Mohit Sharma
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Kalyan singh

Kalyan singh ( Photo Credit : सांकेतिक ​तस्वीर)

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राममंदिर आंदोलन के पुरोधा कहे जाने वाले कल्याण सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में एक थे. उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका कद काफी बड़ा था. वह भाजपा के उदय, ढलान और शीर्ष के साक्षी रहे। उनके कार्यकाल में पार्टी फर्श से अर्श पर पहुंची. उन्होंने अपने अंतिम समय में भाजपा को शीर्ष स्तर पर पहुंचते देखा हैं. कांग्रेस पार्टी के वर्चस्व के दौरान कल्याण सिंह की छवि प्रखर हिंदूवादी नेता के तौर पर हुई। जनसंघ से जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी के नेता के तौर पर वे विधायक और यूपी के मुख्यमंत्री भी बने.

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पहली बार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बने और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे. यूपी के प्रमुख राजनैतिक चेहरों में एक इसलिए माने जाते हैं, क्यूंकि इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी. कल्याण सिंह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद जून 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद अयोध्या में विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये छह दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया.

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कल्याण सिंह भाजपा के उदय के साथ अपनी पारी खेलनी शुरू की थी. 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था और इस आंदोलन के सूत्रधार कल्याण सिंह ही थे. उनकी बदौलत यह आंदोलन यूपी से निकला और देखते-देखते पूरे देश में बहुत तेजी से फैल गया. कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा के पास पहला मौका था जब यूपी में भाजपा ने इतने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी. जिस आंदोलन की बदौलत भाजपा ने यूपी में सत्ता पाई उसके पीछे भी कल्याण सिंह ही थे. इसलिए मुख्यमंत्री के लिए कोई अन्य नेता दावेदार थे ही नहीं. उन्हें ही मुख्यमंत्री का ताज दिया गया. कल्याण सिंह के कार्यकाल में सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहा. कल्याण सिंह के शासन में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर पहुंच रहा था. इसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 1992 में बाबरी विध्वंस हो गया. इस घटना ने पूरे राजनीतिक परि²ष्य को बदल दिया इसके बाद केंद्र से लेकर यूपी की सरकार की जड़ें हिल गईं.

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कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी ली और 6 दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के बाद उनका कद और सुदृढ़ और नामचीन हो गया. उनके प्रधानमंत्री तक बनाए जाने की चर्चा चलने लगी. कम ही लोग जानते हैं कि 1998 में कल्याण सिंह अपने उम्मीदवार के पक्ष में अमरोहा में एक रैली को संबोधित कर रहे थे, तभी उनको एक फोन आया, जिसमें बताया गया कि आपकी सरकार गिर गई है. कल्याण सिंह को बताया गया कि आपकी जगह कांग्रेस के जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री बनाया गया है. आपको बता दें कि 21 फरवरी 1998 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को सीएम पद से हटा दिया था. जगदंबिका पाल कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री थे.

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