हिंदू समाज पार्टी के नेता और हिंदू महासभा के पूर्व नेता कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. 2015 में पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान के चलते ही कमलेश तिवारी की हत्या की गई है. उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अभी तक जांच में पता चला है कि 2015 के भाषण के चलते तिवारी की हत्या हुई है.
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24 घंटे के अंदर हत्या की घटना को सुलझाते हुए पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि हमने 3 लोगों को हिरासत में लिया है. जिनमें मौलाना मोहसिन शेख, फैजान अहमद पठान और खुर्शीद अहमद पठान हैं. उन्होंने बताया कि 24 वर्षीय आरोपी मौलाना मोहसिन सेख साड़ी की दुकान में काम करता है. जबकि 21 साल का फैजान सूरत में रहता है और ये जूते की शॉप में नौकरी करता है. डीजीपी ने कहा कि विवेचना में पता चला है कि हिरासत में लिए गए ये व्यक्ति हत्या की साज़िश में शामिल हैं. वहीं 2 अन्य व्यक्ति जिन्होंने अंजाम दिया है, उनकी तलाश हो रही है.
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ओपी सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि राशिद पठान ने इस हत्याकांड का प्लान बनाया था. मौलाना मोहसिन शेख सलीम ने 2015 पैगम्बर मोहम्मद पर बयानों को देखकर कमलेश तिवारी के कत्ल की बात कही थी. डीजीपी ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह एक कट्टरपंथी हत्या थी, ये लोग 2015 में दिए गए भाषण (कमलेश तिवारी) द्वारा कट्टरपंथी थे, लेकिन बाकी अपराधियों को पकड़ने पर और भी बहुत कुछ सामने आ सकता है.
बता दें कि साल 2015 में अपने मध्य 40वें वर्ष में रहे कमलेश तिवारी उस वक्त चर्चा में आए, जब उन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर अत्यधिक विवादास्पद टिप्पणी की थी. इस पर काफी विवाद हुआ और पूरे देश में इसको लेकर मुस्लिमों ने प्रदर्शन किया था. उन्होंने सोशल मीडिया पर भड़काऊ टिप्पणियां भी पोस्ट की थीं. तिवारी की टिप्पणी के बाद सहारनपुर और देवबंद विशेष रूप से उबाल पर थे. इस बयान की वजह से कमलेश पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया था. उन्हें एक साल तक जेल में रहना पड़ा था.
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तिवारी अखिल भारतीय हिंदू महासभा के स्वयंभू अध्यक्ष थे और उनके इस दावे का कई बार महासभा ने विरोध किया था. आखिरकार 2017 में तिवारी ने हिंदू समाज पार्टी बनाई और हिंदू कट्टरपंथी के रूप में उभरने के लिए कई प्रयास किए. इसी क्रम में तिवारी ने सीतापुर में अपनी पैतृक जमीन पर नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने का ऐलान किया था. लेकिन वह कभी शुरू नहीं हो सका. तिवारी ने 2012 में भी चुनावी राजनीति में उतरने का असफल प्रयास किया था. वह लखनऊ से विधानसभा चुनाव लड़े थे और हार गए थे.
Source : डालचंद