काशी विश्वनाथ के गलियारे का काम युद्धस्तर पर जारी, 13 दिसंबर को पीएम करेंगे उद्धघाटन 

भव्य काशी विश्वनाथ गलियारा, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी और प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को जोड़ता है, वह जल्द पूरा होने वाला  है.

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Mohit Saxena
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काशी विश्वनाथ का गलियारा ( Photo Credit : file photo)

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काशी विश्वनाथ के गलियारे का निर्माणकार्य जोरशोर से जारी है. 13 दिसंबर को पीएम मोदी इस गलियारे को आम जनता के लिए समर्पित कर देंगे. मगर निर्माणकार्य की अवस्था को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि ये काम कुछ दिनों का ही बचा हुआ है.  इस पर शहर के संभागीय आयुक्त (divisional commissioner ) दीपक अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि भव्य काशी विश्वनाथ गलियारा, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी और प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को जोड़ता है, वह जल्द पूरा होने वाला  है. 13 दिसंबर को पीएम मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं.

अग्रवाल ने एक प्रेस वार्ता में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा “गलियारे ने मंदिर परिसर को कम कर दिया है, जो पहले तीन तरफ इमारतों से घिरा हुआ था. यह परियोजना उन दो चीजों को जोड़ेगी जिनके लिए वाराणसी प्रसिद्ध है. काशी विश्वनाथ मंदिर (केवीटी) और गंगा नदी.” कॉरिडोर 5.5 लाख वर्ग फुट में बना है.

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च, 2019 में गलियारे की नींव रखी. अग्रवाल ने कहा कि परियोजना के लिए जगह बनाने के लिए 300 से ज्यादा इमारतों को खरीदा और ध्वस्त किया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दर्जनों बार इसका निरीक्षण किया है. अग्रवाल ने कहा कि शुरू में मंदिर परिसर के घने ढांचे को देखते हुए यह असंभव लग रहा था. लेकिन, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के संगठित और समर्पित प्रयासों से,कोविड-19 महामारी की दो लहरों के बावजूद, पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड समय में पारदर्शिता के साथ पूरा किया जा रहा है.

अग्रवाल ने आगे कहा, "परियोजना को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया गया था, जिसमें संपत्ति खाली करने से लेकर मालिकों को मुआवजा देने तक शामिल थी," उन्होंने   आगे कहा, "परियोजना का निष्पादन सबसे पारदर्शी तरीके से किया गया था, जिसके कारण परियोजना को किसी मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ा."

40 प्राचीन मंदिरों को निकाला गया

गलियारे क्षेत्र में इमारतों के ध्वस्त करने के बाद कम से कम 40 प्राचीन मंदिरों को निकाला गया. पहले यह मंदिर घरों के अंदर दफन थे. लोगों ने इसके आसपास इतने घर बनाए थे कि ये कहीं छिप से गए थे. लोगों ने उनके ऊपर रसोई, स्नानघर और बहुत कुछ बनवा लिया था. मंदिर अब दिखाई दे रहे हैं, इन्हें संरक्षित किया जाएगा और जनता के लिए खोल दिए जाएंगे. ब्रीफिंग में मौजूद परियोजना के वास्तुकार बिमल पटेल ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर की मूल संरचना से छेड़छाड़ किए बिना पर्यटकों के लिए सुविधाओं में वृद्धि की गई है.

पटेल ने बताया “कार्य में मंदिर चौक, वाराणसी सिटी गैलरी, संग्रहालय, बहुउद्देशीय सभागार, हॉल, भक्त सुविधा केंद्र, सार्वजनिक सुविधा, मोक्ष गृह, गोदौलिया गेट, भोगशाला, पुजारियों और सेवादारों के लिए आश्रय, आध्यात्मिक पुस्तक स्थान और   अन्य का निर्माण शामिल है. परियोजना के 5.50 लाख वर्ग फुट क्षेत्र का लगभग 70% हरित आवरण के लिए खुला रखा जाएगा.”

संभागीय आयुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा कि पूरी परियोजना पर लगभग एक हजार करोड़ खर्च किए गए हैं, जिसमें पुनर्विकास क्षेत्र में रहने वाले लोगों के पुनर्वास पर  खर्च किए 70 करोड़ रुपये शामिल हैं. दस हजार लोगों के ध्यान के लिए सात हजार वर्ग मीटर से अधिक का मंदिर मंच, सात भव्य प्रवेश द्वार, एक कैफेटेरिया, एक फूड कोर्ट, एक वैदिक और आध्यात्मिक पुस्तकालय, एक आभासी गैलरी, पर्यटन केंद्र, एक बहुउद्देश्यीय हॉल और एक सुरक्षा हॉल हिस्सा हैं. कॉरिडोर के साथ एक विशेष स्काई बीम लाइट सिस्टम भी लगाया जा रहा है.

Source : News Nation Bureau

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