देश के बड़े एक्सप्रेसवे में शुमार आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (Agra-Lucknow Expressway) हादसों का एक्सप्रेस-वे बन गया है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर प्रतिदिन औसतन 4 सड़क हादसे होते हैं. अब एक्सप्रेसवे पर रफ्तार का रोमांच लोगों के सफर को खूनी बना रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि हाल में यूपीडा द्वारा आगरा (Agra) के आरटीआई एक्टिविस्ट को उपलब्ध कराए गए हादसों के आंकड़े यह खुलासा कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें- यहां ' ममता' पर भारी 'शाह', गिनती में भी नहीं 'राहुल', 'मोदी' के लिए भी बड़ी चुनौती
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत अधिवक्ता आरटीआई एक्टिविस्ट केसी जैन को एक्सप्रेसवे पर 20 महीनों में सड़क हादसों की जानकारी दी है. आरटीआई (RTI) रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 20 महीने में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 2,368 सड़क हादसे हुए, जिनमें 227 लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही इन सड़क हादसों में सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए, जिनमें से कई ऐसे लोग भी हैं, जो अभी तक ठीक से चल फिर भी नहीं पा रहे हैं और दिव्यांगता का दंश झेलने के लिये मजबूर हैं.
यह भी पढ़ें- सातवें चरण के चुनाव से पहले EC सख्त, स्टार प्रचारक और बड़े नेता मीडिया से रहें दूर
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 302 किमी लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे आगरा और लखनऊ की लाइफलाइन बन गया है. मगर रफ्तार के रोमांच में एक्सप्रेसवे हादसों के चलते मौत का सफर बन रहा है. जनवरी 2019 से मार्च 2019 तक फर्राटा दौड़ते वाहनों के टायर पंचर, हाई स्पीड, ओवरटेक, ड्राइवर के नींद आने सहित अन्य कारणों से 402 सड़क हादसे हुए. इसमें 222 लोग घायल हो गए, जबकि 36 लोगों की मौत हो गई.
आरटीआई एक्टिविस्ट केसी जैन ने बताया कि 20 महीने में 2368 सड़क हादसों में 227 लोगों की मौत हुई. आंकड़ों के मुताबिक, एक्सप्रेस-वे पर औसतन प्रतिदिन 4 सड़क हादसे हुए और हर तीसरे दिन में 1 व्यक्ति की मौत हुई. उन्होंने बताया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे 302 किमी लंबा है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 10 और स्थानों पर कैमरे लगाया जा रहे हैं. वहीं 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेस-वे पर 10 स्थानों पर कैमरे लगाए गए हैं.
यह भी पढ़ें- महात्मा गांधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कहने वाले नेता की बढ़ी मुसीबत, बीजेपी ने किया सस्पेंड
आरटीआई एक्टिविस्ट केसी जैन का कहना है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के बाईं और दाईं ओर मात्र 5-5 कैमरे लगाया जाना पूरी तरह से नाकाफी है. 60-60 किमी की दूरी पर कैमरे लगाने की जगह ये कैमरे अधिक से अधिक 20-20 किमी की दूरी पर लगने चाहिए थे. यही नहीं, इन कैमरों को लगाने में भी यूपीडा के स्तर से बहुत देरी हुई है.
यूपीडा ने आरटीआई में यह भी जवाब दिया है कि एक्सप्रेसवे पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा व स्पीड रिकॉर्ड करने वाले कैमरे और संयंत्रों का कार्य अभी प्रगति पर है. इस एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की लागत 29.60 करोड़ रुपये है, जिसमें 10 स्थानों पर ऑटोमेटिक नंबरप्लेट रीडर कैमरे लग रहे हैं. यह कार्य जून-2019 तक पूरा हो सकता.
यह भी पढ़ें- बीजेपी की लिए अच्छी खबर, कांग्रेस के इस बड़े नेता ने नतीजों से पहले कह दी बड़ी बात
दुघर्टनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कुछ यूं कदम उठाने चाहिए
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 10 स्थानों से बढ़ाकर 20 स्थानों पर कैमरे लगाए जाएं, भविष्य में कोई भी एक्सप्रेस-वे तब तक शुरू न किया जाए, जब तक वहां गति उल्लंघन रोकने के लिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे व स्पीड कैमरों की सुचारू व्यवस्था न हो. गति उल्लंघन करने वाले वाहनों को चालान के संबंध में समस्त कार्रवाई टोल संचालनकर्ता मैसर्स ईगल इन्फ्रा इंडिया लिमिटेड द्वारा ही की जाए.
यह वीडियो देखें-