उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) और राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मंगलवार को मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. यहां के कर्मचारी एसजीपीजीआई के समान सेवा शर्ते होने के बावजूद समान वेतन न मिलने से नाराज हैं, और इसे लेकर उन्होंने हड़ताल शुरू कर दी है.
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कर्मचारियों की हड़ताल कारण केजीएमयू में सुबह से ही ओपीडी की पर्ची नहीं बन पा रही है, जिससे मरीजों व उनके परिजनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का हाल भी कुछ ऐसा ही है. संस्थान में मेडिकल फैकल्टी समस्त नर्सिग पैरामेडिकल स्टाफ ने हड़ताल शुरू दी है. इस दौरान ओपीडी का काम पूरी तरह ठप है, जिसके चलते मरीजों को बिना इलाज के वापस लौटना पड़ा है.
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लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मेडिकल फैकल्टी व नर्सिग पैरामेडिकल स्टाफ की हड़ताल से गुस्साए तीमारदारों ने जमकर हंगामा किया और लोहिया संस्थान के बाहर सड़क जाम कर दिया. इसके चलते एंबुलेंस भी जाम में फंस गई. वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनकारी लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रशासनिक भवन के गेट के सामने धरने पर बैठ गए.
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केजीएमयू की नई ओपीडी के प्रथम तल पर टोकन काउंटर पर कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया. इसके साथ ही प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने मरीजों को देख रहे डॉक्टरों को भी जबरन सीट से उठा दिया. इसके बाद मरीजों को बिना इलाज के बैरंग लौटना पड़ा.
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प्रदेश के अन्य जिलों से आए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अकबरपुर से आए रमेश ने कहा कि "एक तो इलाज के लिए बड़ी मुश्किल से नंबर आता है. इसके बाद भी इलाज न मिलने से काफी निराशा हुई और बिना इलाज के ही घर लौटना पड़ रहा है."
बाराबंकी से आंखों का इलाज कराने लोहिया संस्थान पहुंचे किशन कुमार इससे पहले भी दो बार जांच के लिए आ चुके हैं. उन्होंने बताया कि "पहले तो डॉक्टर से समय न मिल पाने के कारण वापस लौटना पड़ा. अब मंगलवार को हड़ताल के कारण इलाज नहीं करा पाए."
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शिक्षक संघ के महासचिव डॉ. संतोष कुमार एवं कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि जब एसजीपीजीआई के समान सेवा शर्तें हैं तो वेतन भी उसी के आधार पर मिलना चाहिए.
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उन्होंने कहा, "पीजीआई को 2017 से सातवां वेतनमान व उसके भत्ते प्रदान करने का आदेश हुआ है. इसी प्रकार केजीएमयू व लोहिया संस्थान को भी भत्ते मिलने चाहिए. इस मुद्दे पर हड़ताल की जा रही है. अब हालांकि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है."
गौरतलब है कि पूर्व में लिए गए फैसले के बावजूद शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक संवर्ग के लोगों को सातवें वेतनमान के भत्तों का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
Source : IANS