यूपी के परिषदीय विद्यालयों की लाइब्रेरी नौनिहालों को बनाएगी ज्ञानवान

प्राईवेट स्कूलों की तरफ भागने वाले अभिभावकों को न सिर्फ रिझाने के लिए बल्कि उनके नौनिहालों को ज्ञानवान बनाने के लिए यूपी सरकार ने परिषदीय स्कूलों में लाइब्रेरी की स्थापना के निर्देश दिए गए हैं. आदेश में लाइब्रेरी में विभिन्न आयु वर्ग के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराने को कहा गया है. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने कहा कि जहां पुस्तकालय के लिए अलग से कक्ष नहीं हैं, वहां प्रत्येक कक्षा में रीडिंग कॉर्नर बनाया जाए. इस संबंध में उन्होंने सभी बीएसए को निर्देश जारी किए हैं. इसमें उन्होंने कहा कि बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार बच्चों को पुस्तकें पढ़ने का अवसर उपलब्ध कराया जाए.

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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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प्राईवेट स्कूलों की तरफ भागने वाले अभिभावकों को न सिर्फ रिझाने के लिए बल्कि उनके नौनिहालों को ज्ञानवान बनाने के लिए यूपी सरकार ने परिषदीय स्कूलों में लाइब्रेरी की स्थापना के निर्देश दिए गए हैं. आदेश में लाइब्रेरी में विभिन्न आयु वर्ग के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराने को कहा गया है. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने कहा कि जहां पुस्तकालय के लिए अलग से कक्ष नहीं हैं, वहां प्रत्येक कक्षा में रीडिंग कॉर्नर बनाया जाए. इस संबंध में उन्होंने सभी बीएसए को निर्देश जारी किए हैं. इसमें उन्होंने कहा कि बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार बच्चों को पुस्तकें पढ़ने का अवसर उपलब्ध कराया जाए.

निर्देश में डीजी स्कूल ने कहा है कि विद्यालयों में ऐसे बाल साहित्य संग्रह/पुस्तकालय की स्थापना की जाए, जिसमें अलग-अलग आयु वर्ग, पठन स्तर, विविध रुचियों एवं शैलियों की पुस्तकें हो तथा उसे नियमित व क्रियाशील बनाया जाए. जिन विद्यालयों में पुस्तकालय हेतु अलग से कक्ष उपलब्ध नहीं है, वहां प्रत्येक कक्षा में रीडिंग कार्नर बनाए जाएं. पुस्तकालय का उपयोग बच्चों की पठन क्षमता के विकास के साथ-साथ शैक्षिक कौशल, स्वतंत्र चिंतन, सामाजिक-सांस्कृतिक जानकारी में अभिवृद्धि तथा अन्य विषयों व अभिरूचियों के विकास में भी सहायक सिद्ध होगा. बच्चों द्वारा पुस्तकालय की पुस्तकों का प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित करने एवं उनमें पढ़ने की आदत विकसित करने के लिये निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार बच्चों को पाठ्यक्रम आधारित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें पढ़ने का अवसर उपलब्ध कराया जाए.

पुस्तकालय के नियमित संचालन में एक मार्गदर्शिका भी जारी की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बच्चों को बिना किसी भेदभाव (लिंग, जाति, धर्म, दक्षता आदि) के पढ़ने के समान अवसर प्राप्त हो. इसका उद्देश्य है कि बच्चे अपनी इच्छा से निर्धारित पुस्तकालय में या खाली समय में पुस्तकें पढ़ें और पढ़ने के लिए घर भी ले जा सकें. इसके साथ ही पुस्तकालय की पुस्तकों का प्रयोग शिक्षकों द्वारा भी किया जाये ताकि वे भी अपने ज्ञान व समझ को सुदृढ व समृद्ध कर सकें.

समय सारिणी के अनुसार निर्धारित कालांशों में बच्चे प्रभारी पुस्तकालय शिक्षक अथवा बच्चों की पुस्तक समिति की देख-रेख में पुस्तकों को प्राप्त करेंगे और उन्हें पढ़कर यथास्थान वापस रखना होगा. यदि बच्चे पुस्तकें घर ले जाकर पढ़ना चाहते हैं तो पुस्तक पुस्तकालय एवं खेलकूद पंजिका में लेन-देन प्रविष्टियां अंकित करके पुस्तकें घर ले जाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. पुस्तकों के रखरखाव की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक / प्रभारी पुस्तकालय शिक्षक / कक्षा शिक्षक के पास होगी, जिसमें वे बच्चों के बुक क्लब की मदद ले सकते हैं.

Source : IANS

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