लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे दिनोंदिन 'मौत का एक्सप्रेसवे' बनता जा रहा है. यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीईआईडीए) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2017 से मार्च 2018 के बीच लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर 858 दुर्घटनाओं में 100 मौतें हुई हैं. अप्रैल 2018 व दिसंबर 2018 के बीच हुई कुल 1,113 दुर्घटनाओं में 91 लोगों की जान चली गई.
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सोमवार को हुई बस दुर्घटना इस सूची में नई शामिल हुई है जिसमें जिसमें 29 लोगों की जान चली गई. आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन (एडीएफ) के सचिव केसी जैन ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी जिसके जवाब ने पुष्टि की कि एक्सप्रेसवे पर असामान्य रूप से बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हो रही हैं.
9 महीने में एक्सप्रेसवे पर 100 लोगों की मौत
आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक, पिछले नौ महीनों में एक्सप्रेसवे पर हुई 853 दुर्घटनाओं में 100 लोगों की मौत हुई है. यूपी स्टेट रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (यूपीएसआरटीसी) की बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे ड्राइवरों द्वारा अधिक काम की वजह से हुई थकान को बताया जा रहा है. सोमवार को हुई दुर्घटना की यही वजह बताई जा रही है.
ड्राइवर को एक दिन में 14 घंटे से अधिक बस नहीं चलानी चाहिए, मगर ज्यादातर ड्राइवर प्रतिदिन 18 घंटे तक बस चलाते हैं, क्योंकि उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन (इंसेंटिव) मिलता है.
इस आशय की रिपोर्ट हैं कि सोमवार की दुर्घटना में चालक झपकी ले रहा था और कुछ यात्रियों ने उसे अपना चेहरा धोने की सलाह भी दी थी.
हालांकि प्रमुख सचिव (परिवहन) आराधना शुक्ला ने कहा, 'सोमवार की दुर्घटना के मामले में ड्राइवर तीन दिन की छुट्टी के बाद आया था. उसे पूरा आराम मिला था. वह रात में लंबी दूरी की यात्रा पर बस ले जाने वाला ड्राइवर था. वह कभी किसी एक भी दुर्घटना का हिस्सा नहीं रहा था. बस नई थी और अच्छी स्थिति में थी। यह सीधे तौर पर एक दुर्घटना थी, और कुछ नहीं.'
तेज रफ्तार बनता है जानलेवा
प्रधान सचिव ने यह भी कहा कि अधिकांश चालक निर्धारित घंटों से आगे गाड़ी चलाने की उत्सुकता दिखाते हैं क्योंकि यह उनके लिए अतिरिक्त धन लेकर आता है. उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभाग अब कड़े कदम उठाएगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक्सप्रेसवे पर तेज गति से चलने वाले वाहन हादसों की एक बड़ी वजह हैं.
302 कि. मी. लंबे इस एक्सप्रेसवे पर अभी भी पेट्रोल पंप, वाहन मरम्मत की दुकानें, चिकित्सा सुविधाएं और विश्राम कक्ष सहित कोई भी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. यही नहीं, आपातकालीन स्थिति में एक्सप्रेसवे पर एंबुलेंस भी उपलब्ध नहीं है.
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एक्सप्रेसवे पर गति सीमा 120 कि. मी. प्रति घंटा है, लेकिन अधिकांश वाहन गति सीमा से ऊपर चलते हैं, जिससे घातक दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं रहती हैं.
राज्य सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि लखनऊ टोल प्लाजा से आगरा तक 302 किलोमीटर की दूरी को तीन घंटे से कम समय में पूरा करने वालों को तेजी से गाड़ी चलाने के लिए जुर्माना देना होगा.
ई-चालान वाहन मालिक के पंजीकृत पते पर भेजा जाएगा
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीईआईडीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा, 'अगर कोई वाहन आगरा और लखनऊ के बीच की दूरी तीन घंटे या इससे कम समय में पूरी करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा और ई-चालान वाहन मालिक के पंजीकृत पते पर भेजा जाएगा.'
15,000 करोड़ रुपये की लागत से बने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे में छह लेन हैं जिन्हें आठ लेन तक बढ़ाया जा सकता है. इस पर चार रेलवे ओवरब्रिज, 13 पुल, 57 छोटे पुल, 74 अंडरपास, 148 अंडरपास पैदल मार्ग और नौ फ्लाईओवर हैं.
एक्सप्रेसवे 3500 हेक्टेयर भूमि पर 10 जिलों लखनऊ, हरदोई, उन्नाव, कानपुर, कन्नौज, औरैया, इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद से होकर गुजरता है.