लखनऊ: अवैध बूचड़खानों पर सख्ती से मुर्गों की मांग पड़ी ठप्प, बस 40 दिन ही जीते हैं मुर्गे

उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर सख़्ती के चलते राज्य के मीट कारोबारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु की है।

author-image
Shivani Bansal
एडिट
New Update
लखनऊ: अवैध बूचड़खानों पर सख्ती से मुर्गों की मांग पड़ी ठप्प, बस 40 दिन ही जीते हैं मुर्गे
Advertisment

उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर सख़्ती के चलते राज्य के मीट कारोबारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु की है। इसी कड़ी में सोमवार को राजधानी लखनऊ में मुर्गा सहकारी समिति ने भी हड़ताल शुरु कर दी है। लखनऊ मुर्गा सहकारी समिति के लोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की भी तैयारी में है।

मुर्गा सहकारी समिति के लोग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ हड़ताल पर हैं। इन लोगों का कहना है कि अब तक रोजाना करीब 1 लाख 25 हजार मुर्गों की बिक्री लखनऊ में ही हो जाती थी जो कि पिछले कुछ दिनों से नहीं हो पा रही है। 

दरअसल यूपी सरकार के अवैध बूचड़खानों पर पाबंदी के चलते फुटकर मीट विक्रेताओं का भी कारोबार बंद हो गया है। ऐसे में उनकी मुर्गों की मांग ठप्प हो गई है। ऐसे में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

मुर्गों के छोटे जीवनकाल से बड़ा नुकसान 

इनका कहना है कि, 'दरअसल एक मुर्गे को महज 40 दिन के अंदर ही बेचना पड़ता है अगर 40 दिन में इस की बिक्री नहीं होती है तो मुर्गे का वजन बढ़ जाता है। वज़न बढ़ने के चलते मुर्गे के पैर कमजोर हो जाते है और इसके बाद कुछ ही दिनों के अंदर मुर्गे की मौत हो जाती है।'

इनका कहना है कि मुर्गों की उम्र बढ़ने से जल्दी मौत होने के चलते मुर्गी पालन से जुड़े इन किसानों को बड़ा घाटा होगा। इसके अलावा अगर बड़ी संख्या में यह मुर्गे जल्द ही मर गए तो बीमारियों के फैलने का भी ख़तरा बढ़ जाएगा।

इसके चलते लखनऊ मुर्गा सहकारी समिति राज्य सरकार के अवैध बूचड़खानों को बंद करने के कदम का विरोध कर रही है।

कारोबार से जुड़ी ख़बरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

Source : News Nation Bureau

Lucknow Yogi Adityanath Poultry Farm Slaughter houses meat traders
Advertisment
Advertisment
Advertisment