उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का 19 दिसंबर 2019 को विरोध करने के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों से क्षति की वसूली के लिए पोस्टर लगाने की राज्य सरकार की कार्रवाई के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) आज अपना फैसला सुनाएगा. रविवार को इस मसले पर बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच में सुनवाई हुई थी. आज दोपहर 2 बजे हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.
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हाईकोर्ट में रविवार को राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील राघवेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि अदालत को इस तरह के मामले में जनहित याचिका की तरह हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालत को ऐसे कृत्य का स्वतः संज्ञान नहीं लेना चाहिए, जो ऐसे लोगों द्वारा किए गए हैं जिन्होंने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. वकील ने कथित सीएए प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाने की राज्य सरकार की कार्रवाई को डराकर रोकने वाला कदम बताया, ताकि इस तरह के कृत्य भविष्य में दोहराए न जाएं.
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बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 मार्च को हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने की घटना पर स्वतः संज्ञान में लिया था. अदालत ने रविवार को ही अपने आदेश में लखनऊ के डीएम और मंडलीय आयुक्त को उस कानून के बारे में बताने को कहा था, जिसके तहत लखनऊ की सड़कों पर इस तरह के पोस्टर एवं होर्डिंग लगाए गए. रविवार को जब अदालत ने सुबह 10 बजे इस मामले में सुनवाई शुरू की, तो अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने अदालत को सूचित किया कि इस मामले में महाधिवक्ता राज्य सरकार का पक्ष रखेंगे. मामले में बहस पूरी होने के बाद खंडपीठ ने कहा कि 9 मार्च को दोपहर 2 बजे आदेश सुनाया जाएगा.