वाराणसी में आज से पांच दिनों के लिए खुला मां अन्नपूर्णा का दरबार, बंट रहा है भक्तों में खजाना

दीपावली से पहले धनतेरस पर्व पर मां का अनमोल खजाना खोला जाता है. श्रद्धालुओं में इसकों साल में केवल एक दिन धनतेरस के दिन बांटा जाता है.

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Mohit Saxena
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गंगा के पश्चिमी घाट पर भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से एक विश्वेश्वर लिंग पर काशी विश्वनाथ  का मंदिर है और इस मंदिर के निकट दक्षिण दिशा में मां अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है जो भक्तों को अन्न-धन प्रदान करने वाली मां अन्नपूर्णा का दिव्य धाम है. दीपावली से पहले धनतेरस पर्व पर मां का अनमोल खजाना खोला जाता है और श्रद्धालुओं में इसकों साल में केवल एक दिन धनतेरस के दिन बाटा जाता है. खजाने के रूप में भक्तों को अठन्नी, एक और दो रूपये के सिक्के दिए जाते हैं. इस बार चांदी के सिक्के भी दिए गए. इसके पीछे की मान्यता है कि इस खजाने के पैसे को   अगर अपने घर और प्रतिष्ठान में रखा जाये तो कभी धन, सुख और समृद्धि में कमी नहीं होती. मां अन्नपूर्णा के स्वर्णिम स्वरुप का दर्शन वर्ष भर मे मात्र चार दिनों के लिए धनतेरस से खोला जाता है.हालांकि इस बार पांव दिनों के लिए मंदिर का द्वार खुला रहेगा.

भक्तों को स्वर्णिम दर्शन देती हैं

चंद रिचकारी और धान के लावे को पाने के लिए पुरे पुरे दिन इंतजार में बिता देने के बाद मां अन्नपूर्णा के जब स्वर्णिम दर्शन भक्तों को मिलते हैं तो उनकी सारी थकान मानों गायब हो जाती है. ये नजारा वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के निकट दक्षिण दिशा में माँ अन्नपूर्णा मंदिर का है. वर्ष में एक दिन धनतेरस को न केवल माँ अन्नपूर्णा अपने भक्तों को स्वर्णिम दर्शन देती हैं, बल्कि प्रसाद के तौर पर धन के रूप में रिचकारी और धान्य के रूप में धान का लावा. जिसको पाकर श्रद्धालु खुद को धन्य मानते हैं और पुरे वर्ष इस अवसर का इंतजार करते हैं. माँ अन्नपूर्णा के दरबार में मिले धन को आस्थावान अपनी तिजोरी में और धान के लावा को रसोई या फिर अन्न के भंडारे में रखते हैं. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि उनका घर हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा.

कोई ऐसी ठोस जानकारी नहीं

कई पीढियों से अन्नपूर्णा मंदिर में सेवा में लगे महंत परिवार के पास भी कोई ऐसी ठोस जानकारी नहीं है कि कब से वे इस प्राचिन मंदिर से जुड़े हैं और हर वर्ष यहां कितने लाख का खजाना श्रद्धालुओं में बाट दिया जाता है. लेकिन चलन की सबसे छोटी मुद्रा का वितरण यहां हर साल धनतेरस वाले दिन खजाने के रूप में धान के लावे के साथ किए जाने की परंपरा चली आ रही है. माँ ने जिस रूप में दर्शन दिया उसी स्वरूप की पूजा और दर्शन वर्ष में धनतेरस से शुरू होकर दिवाली के अगले दिन अन्नकूट तक चलता है. काशी विश्वनाथ धाम में कनाडा से आई माता अन्नपूर्णा के प्रतिमा के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़.

अन्नपूर्णा पार्वती ही धन, धान्य, वैभव और सुख शान्ति की अधिष्ठात्री देवी है. सांसारिक रूप में इसका स्वरूप बहुत ही उज्जवल कोमल श्वेतवर्णा और श्वेत वस्त्रधारी चतुर्भुज युक्त एक हाथ में त्रिशूल दूसरे हाथ में डमरू लिये हुए गायन संगीत की प्रिय देवी है. धनतेरस के दिन धन्वंतरि भगवान का पूजन भी किया जाता है धनतेरस के दिन पिले धातु के खरीदारी का खास महत्व होता है.

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