'दशहरी आम' (Dashhari Mango) इस नाम में आखिरी में आम है, लेकिन यह बेहद खास है. यही वजह है कि दशहरी की पहचान पूरी दुनिया में है. आम में सबसे शानदार किस्मों में दशहरी को गिना जाता है. अगर दशहरी मलीहाबादी हो तो क्या कहने. लेकिन इस बार आम से जुड़े कारोबार करने वाले लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. पहली मौसम और दूसरी लॉकडाउन (Lockdown). लखनऊ से सटे मलिहाबाद में 70 फ़ीसदी खेती आम की है और एक बड़ा कारोबार मलिहाबाद से आम का पूरी दुनिया में होता है. यह आम खाड़ी देशों से लेकर कई देशों में सप्लाई होता है, लेकिन इस बार आम की फसल पर पहली बार मौसम की पड़ी, तो दूसरी आफत लॉकडाउन से है.
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लॉकडाउन ने किसानों की चिंता बढ़ा द
किसानों को उम्मीद थी कि इस बार फसल अच्छी होगी, लेकिन मौसम (Weather) की वजह से फसल 20 फ़ीसदी कम मिली और ऊपर से लॉकडाउन ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. अगर 17 अप्रैल तक लॉकडाउन नहीं खुला, तो यह आम बाहर सप्लाई नहीं हो पाएगा. अगर बाहर की मंडियों में आम पहुंच भी गया, तो वहां छोटे विक्रेता नहीं है और अगर वह भी मिल गए तो खाने वाले लोग घरों में दुबके हैं. ऐसे में आम की बिक्री हो पाना मुश्किल है. आम की बाजार के हालात पर हमारे संवाददाता निखिल शर्मा ने बात की पद्म श्री से सम्मानित कलीमुल्लाह से.
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मंडी में आढ़तियों की दुकान बंद है और आढ़ती घर में बैठे हैं
लॉकडाउन से जहां एक तरफ किसान परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आढ़ती भी मुश्किल में हैं. मंडी में आढ़तियों की दुकान बंद है और आढ़ती घर में बैठे हैं. आढ़तियों का मानना है की इस बार कारोबार पूरी तरह से चौपट रहेगा, क्योंकि बाहर की जो मंडिया हैं पहले तो वहां आम पहुंचाना मुश्किल है दूसरा लेबर क्राइसिस भी है. ऐसे में अगर बाल की उचित कीमत नहीं मिली, तो किसान से खरीदे गए माल की लागत भी नहीं निकल पाएगी. लेकिन सबकुछ लॉकडाउन खुलने पर निर्भर है.
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सबकी निगाहें 17 तारीख पर टिकी हुई है
हर साल मौसम किसानों की चिंता बढ़ाता था, लेकिन इस बार उसकी परेशानी का सब लॉकडाउन बना हुआ है. इसलिए किसान भी निराश हैं और आम की आढ़ती भी सबकी निगाह 17 तारीख पर टिकी हुआ है कि सरकार लॉकडाउन पर क्या फैसला लेती है.