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स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को अपने ही वतन में आज तक नहीं मिल सकी 2 गज जमीन

रायबरेली में सेहंगों गोलीकांड की कहानी सुनकर आज भी रूह कांप जाती है. अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए गांव के 2 क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर लटकाए गए और जब फांसी के फंदे से जान नहीं गई तो अंग्रेजी सैनिकों ने हाथों की नसों को काटकर मौत के घाट उतार दिया था

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Iftekhar Ahmed
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शहीदों को अपने ही वतन में आज तक नहीं मिल सकी 2 गज जमीन( Photo Credit : File Photo)

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रायबरेली में सेहंगों गोलीकांड की कहानी सुनकर आज भी रूह कांप जाती है. अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए गांव के 2 क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर लटकाए गए और जब फांसी के फंदे से जान नहीं गई तो अंग्रेजी सैनिकों ने हाथों की नसों को काटकर मौत के घाट उतार दिया था. देश भर में आजादी के 75 साल पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन शहीदों का अस्थि कलश आज भी गांव में ही रखा हुआ है. गांव के लोगों का कहना है कि कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन शहीद स्मारक नहीं बन सका. अब एक बार फिर लोगों को मौजूदा सरकार से आस जगी है कि अब शायद शहीद स्मारक बन जाएगा. 

रायबरेली जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर लखनऊ और रायबरेली की सीमा पर बसे बछरावां ब्लॉक के सेहंगों गांव  में खड़ी पुरानी इमारतें ब्रिटिश हुकूमत की आज भी गवाही देती है. इसी गांव के रहने वाले रामअवतार चौधरी और सालिगराम चौधरी ने अंग्रेजी शासन का बराबर विरोध किया. इन दोनों क्रांतिकारियों ने 21 जनवरी 1921 को अंग्रेजी सैनिकों को उस समय मुंह तोड़ जवाब दिया, जब गांव में किसानों से जमीन की लगान वसूलने के लिए गांव की बाजार पहुंचे थे. अंग्रेजी सैनिक बाजार में किसानों से लगान वसूल कर रहे थे. इसी बीच रामअवतार चौधरी और सालिग राम ने वसूली का विरोध किया. वसूली का विरोध करते हुए विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों लोगों ने अंग्रेजी सैनिकों की राइफल छीनकर उसी से पिटाई करना शुरू कर दिया. इस दौरान इस कदर अंग्रेजी सैनिकों की पिटाई कर दी कि दो सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई और एक घायल हो गया, जिसकी बाद में मौत हो गई. इसी के चलते रामअवतार और सालिग राम को अंग्रेजी सैनिक पकड़ ले गए और उसके बाद जेल भेज दिया गया. इसके बाद दोनों लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई. 

बताया जाता है कि रायबरेली जिला जेल में दोनों को फांसी के फंदे पर अंग्रेजी सैनिकों ने लटका दिया, लेकिन उसके बावजूद भी दोनों वीरों की जान नहीं गई. इसके बाद बड़ी ही बेरहमी के साथ रामअवतार और सालिगराम के हाथों की नसों को काट दिया गया, जिससे दोनों की जान चली गई. सेहंगों गांव के रहने वाले इन वीरों का नाम आज भी अपने सीने में सहेजे हुए हैं. जब उनकी वीरगाथा को सुनाया जाता है तो लोगों की रूह कांप जाती है. किस तरह से अंग्रेजों ने उन पर जुल्म किया और बेरहमी से जान ले ली. देश आजाद होने के बाद दोनों वीरों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज तो हो गया. लेकिन, गांव के लोग और परिजन सरकार द्वारा दिए गए अस्थि कलश को आज भी संजोकर रखे हुए हैं. बस एक ही चाह है कि शहीद राम अवतार और सालिगराम के अस्थि कलश को रखकर गांव में ही एक भव्य शहीद स्मारक का निर्माण किया जाए, जिससे बच्चे उनके इतिहास को जान सके और शहीदों को श्रद्धांजलि देते रहें. 

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सरकारें आती रही जाती रहीं, लेकिन किसी ने इन शहीदों के नाम पर गांव में शहीद स्मारक बनाने की सुध नहीं ली. आज भी गांव के पूर्व प्रधान विनोद चौधरी के घर में अस्थि कलश रखा हुआ है. देश की मौजूदा सरकार आजादी के 75 वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, तिरंगा यात्रा भी निकाल रही है. इसी क्रम में सेहंगों गांव में शहीद हजारीलाल चौधरी स्मारक में 110 फीट का झंडा फहराने पहुंचे राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, शहीदों का सम्मान कर रही है. लिहाजा, जल्द ही गांव में शहीद राम अवतार और सालिगराम का भव्य शहीद स्मारक बनवाएगी.

Source : News Nation Bureau

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