उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के नतीजों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को उत्साहित कर दिया है. विधानसभा चुनावों से पहले पंचायत चुनाव ने बीजेपी को बूस्टर डोज दे दी है, जिससे पार्टी का मनोबल बढ़ा है. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है. बीजेपी ने ऐसा ताना बाना बुना कि विपक्षी दल औंधे मुंह गिर गए. 75 में से 67 सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई है, जबकि पांच सपा, एक-एक लोकदल और जनसत्ता दल ने सीट जीती है. दिलचस्प मुकाबला कृष्णनगरी मथुरा में रहा, जहां जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में साले ने बहनोई को मात दी है. मथुरा में दांव पेंच का खेल खेल 8 सदस्यों वाली बीजेपी ने कब्जा किया है.
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बहनोई पर भारी पड़ा साला
मथुरा में बीजेपी समर्थित उम्मीदवार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. बीजेपी उम्मीदवार किशन सिंह चौधरी ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के उम्मीदवार राजेंद्र सिंह सिकरवार के खिलाफ जीत दर्ज की. चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी किशन चौधरी की जीत 11 वोटों से हुई. बीजेपी के किशन चौधरी को कुल 22 वोट मिले है, जबकि रालोद के राजेंद्र सिंह सिकरवार के पक्ष में 11 वोट आए. मथुरा में मतदान 11 बजे शुरू हुई और सवा 2 बजे तक मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो गई. जिसके बाद मतगणना में बीजेपी प्रत्याशी किशन चौधरी रालोद प्रत्याशी को 11 मतों से परास्त किया. दिलचस्प बात यह है कि किशन चौधरी ने जिन्हें हराया है, वो रिश्ते में उनके बहनोई (जीजा) हैं.
काफी रोचक रहा मथुरा सीट पर मुकाबला
मथुरा सीट पर मुकाबला काफी रोचक रहा. किशन चौधरी ने पहली बार ही जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा है और वह पहली बार में ही जिला पंचायत के अध्यक्ष बन गए हैं. बीजेपी नेतृत्व ने जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाया, जिसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाने का पूरा ताना-बाना बुना बना गया. विपक्ष बीजेपी से ये सीट छीनना चाहता था तो बीजेपी फिर से इस सीट पर कब्जा चाहती थी. पिछली बार भी यह सीट बीजेपी के खाते में रही थी. इस बार मथुरा में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी और लोकदल के बीच कड़ी टक्कर रही. जीत के लिए 17 वोट चाहिए थे, जबकि दोनों दलों के पास बराबर 8-8 सदस्य थे. लिहाजा दोनों दलों ने दांव पेंच का खेल शुरू किया.
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बीजेपी की जीत में रही बसपा की भूमिका
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मथुरा में कुल 33 सदस्यों में से जीत के लिए 17 वोटों की जरूरत थी. बीजेपी और लोकदल के पास 8-8 सदस्य थे. मगर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मथुरा में बीजेपी की जीत में भूमिका निभाई. कयास पहले से ही थे कि बसपा के जिला पंचायत सदस्य बीजेपी के पक्ष में मतदान करेंगे और अंत में हुआ भी यही. बसपा ने आधिकारिक रूप से चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन बसपा के पास 13 सदस्य थे, जिन्होंने बीजेपी का समर्थन किया. इसके अलावा 3 निर्दलीय सदस्यों में से एक सदस्य ने भी बीजेपी के लिए वोट किया. लोकदल पहले से 18 सदस्य होने का दावा कर रही थी, जबकि उसके पक्ष में सिर्फ 11 वोट ही आए. जिसमें सपा के एक और दो निर्दलीय सदस्यों ने उसका समर्थन किया.
मथुरा में सीटों की समीकरण
- कुल सदस्य- 33
- जीत के लिए- 17
- बसपा-13
- बीजेपी- 8
- रालोद- 8
- सपा-1
- निर्दलीय- 3
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राष्ट्रीय लोकदल ने गड़बड़ी का आरोप लगाया
हालांकि मथुरा में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की मतगणना के दौरान काफी हंगामा देखने को मिला. मतदान के दौरान पूर्व मंत्री श्याम सुंदर शर्मा के बेटे के मतदान स्थल पर पहुंचे तो रालोद कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए. बाहर आकर हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस बल ने उनको कचहरी परिसर से बाहर किया. राष्ट्रीय लोकदल ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है. रालोद प्रत्याशी ने परिणाम के बाद प्रशासन पर गड़बड़ी का आरोप लगाया.