उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में बिजलीकर्मियों के पूर्ण कार्य बहिष्कार का असर साफ नजर आ रहा है. सरकार द्वारा वैकल्पिक व्यवस्थाएं धरासाई हो गई हैं. प्रदेशभर में लाखों लोगों की रात अंधेरे में कटी. चारों तरफ सिर्फ अंधेरा छाया रहा. कई जिलों में घंटों तक बिजली सप्लाई नहीं की गई. जिससे पानी की सप्लाई भी बाधित हुई.
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बिजली कर्मियों की हड़ताल के चलते रातभर बिजली सप्लाई ठप रही. राज्य में उपमुख्यमंत्रियों के आवास से लेकर आम आदमी तक लाखों लोगों को इस मुसीबत का सामना करना पड़ा. राजधानी लखनऊ में उपमुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री समेत कुल 36 मंत्रियों समेत हजारों घरों में बिजली बाधित रही. इसके अलावा कई और शहरों की बिजली भी काट दी गई.
लखनऊ के अलावा नोएडा और मेरठ से लेकर वाराणसी तक कई जिलों में करीब 10 से 16 घंटे तक बिजली कटौती हुई. जिससे लोगों के सामने पीने के पानी तक का संकट खड़ा हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी जैसे बड़े शहरों के पावर स्टेशन ठप हो गए. जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ, बलिया, चंदौली समेत कई जिलों में सुबह करीब 9 बजे के बाद से ही कटी बिजली सारी रात सामान्य न हो सकी.
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सोमवार को लाखों बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में हड़ताल की. इन कर्मचारियों में जूनियर इंजीनियर, उप-विभागीय अधिकारी, कार्यकारी इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता भी शामिल थे. बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो अनिश्चितकाल के लिए काम का बहिष्कार किया जाएगा. हालांकि इस मसले का बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश की गई, मगर कोई नतीजा न निकल सका. अब आगे भी लोगों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.