उत्तर प्रदेश में दिनों-दिन ध्वस्त होती जा रही कानून व्यवस्था के खिलाफ आज उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जी के निर्देश पर रविवार को सूबे के 60 हजार से अधिक नेताओं, कार्यकर्ताओं ने फेसबुक लाइव के जरिए कानून व्यवस्था से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर योगी सरकार से सवाल पूछे.
यूपी कांग्रेस कमेटी के मीडिया संयोजक ललन कुमार ने बताया कि फेसबुक लाइव के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया है कि यूपी में बढ़ते अपराधों से आमजन के मन में खौफ है. राजनीतिक सरंक्षण की वजह से अपराधियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है और वो जघन्य से जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं.
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अपराधी इस कदर बेखौफ हैं कि कानपुर में आठ पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी और अपराधी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. कानपुर सहित प्रयागराज, एटा की नृशंस घटनाएं प्रदेश में जंगलराज की कहानी खुद ब खुद बयां कर रही हैं और सरकार सिर्फ बैठकें और हिदायतें देने तक सीमित है.
उ0प्र0 कांग्रेस सोशल मीडिया के इंचार्ज मोहित पाण्डेय ने कहा कि जिस प्रकार प्रदेश में हत्या, लूट, बलात्कार और महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं उससे यह साफ हो गया है कि योगी सरकार का इकबाल पूरी तरह खत्म हो गया है. सरकार आम जनता को सुरक्षा देने में विफल है. योगी राज में अब पुलिस भी सुरक्षित नहीं है ऐसे में आम जनता की सुरक्षा कौन करे, यह यक्ष प्रश्न बन गया है.
फेसबुक लाइव के माध्यम से योगी सरकार से सवाल पूछे गये हैं कि हत्या, बलात्कार और मासूमों से दरिंदगी का गढ़ बन रहा है यूपी. प्रदेश में लगातार बढ़ती हत्या, लूट एवं बलात्कार पर चुप क्यों है सरकार?
उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध में राजधानी लखनऊ सबसे आगे. प्रतिदिन 162 महिलाएं उप्र में हिंसा का शिकार होती हैं. उप्र में हर दो घंटे पर एक महिला का रेप हो जाता है. महिलाओं के प्रति बढ़ते हिंसा पे चुप क्यों यूपी सरकार?
बाल अपराध के मामलों में देश भर में बढ़ोत्तरी हुई है और इस मामले में भी उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है. हर 90 मिनट पर किसी न किसी बच्चे पर हिंसा होती है.
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पूरे लॉकडाउन में लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज एवं बुलंदशहर में सबसे अधिक अपराधिक घटनाएं हुई हैं. शहरों में लगातार बढ़ रहे अपराधों पर कोई लगाम नहीं. उत्तर प्रदेश को अब ‘अपराध प्रदेश’ कहा जाने लगा है. उत्तर प्रदेश में औसतन 13 हत्याएं प्रतिदिन हो रही हैं.
हाईकोर्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार 31 जनवरी 2020 तक उत्तर प्रदेश में एक भी ‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’ का गठन नहीं हुआ है और अभी तक इस मामले किसी भी प्रकार की आधिकारिक सूचना प्राप्त नही हुई है.
दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे है. लगभग 33 घटनाएं प्रतिदिन हो रही हैं. उत्तर प्रदेश में अपराधियों का बेखौफ हो जाना असामान्य घटना है. आखिर जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
Source : News Nation Bureau