अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने तीन कृषि कानून के पक्ष में बोलते हुए कहा कि सरकार ने टकराव नहीं टॉक का रास्ता अपनाया है. केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी शनिवार को कानपुर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर सरकार पर हमलावर विपक्षी नेताओं पर जमकर निशाना साधा. नकवी ने कहा कि ये पिटे हुए पॉलिटिकल प्लेयर्स हार की हताशा में किसानों को गुमराह करने की कोशिश में लगे हैं. कहा कि किसानों से सरकार ने टकराव नहीं टॉक का रास्ता अपनाया है. विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाते हुए बोले कि जिन्हें खेती के बारे में समझ नहीं है वो भी किसानों के हितैषी बन गए हैं, जबकि पूरे देश के किसान इस बात से संतुष्ट हैं कि प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर कृषक के साथ आत्मनिर्भर कृषि बनाने के लिए काम कर रहे हैं.
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विदेशी ट्वीट से असर नहीं
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा कि अमेरिका की किसी पॉप स्टार के ट्वीट से हमें कोई असर नहीं पड़ता. हमें अपनी ईमानदारी को सिद्ध करने के लिए किसी भी अंतर्राष्ट्रीय संस्था के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने टकराव नहीं टॉक का रास्ता अपनाया है. इस बिल में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इसे काला कहा जाए. न तो एमएसपी खत्म होगी और न ही मंडियां. भाजपा आंदोलन से आगे आने वाली पार्टी है और हम आंदोलन का सम्मान करते हैं. अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन का क्या हुआ यह सभी ने देखा है. पुलिस और सुरक्षा बल भी संवेदनशील तरीके से काम कर रहे हैं.
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भारत को असहिष्णु बताने की कोशिश
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इंटरनेट मीडिया पर बहुत सारी बातें चलती रहती हैं, लेकिन इसमें जो अच्छा लगे उसे ही चुनना चाहिए. वे बोले कि कुछ पिटे हुए पॉलिटिकल प्राणी भारत का दुष्प्रचार करने में छह वर्षों से लगे हैं. इतना ही नहीं वे लगातार भारत को असहिष्णु देश घोषित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं. कोरोना संकट के समय हमारे समक्ष कई चुनौतियां थीं जिनका सरकार और देशवासियों ने डटकर मुकाबला किया. साथ ही इस दौरान हमने टिड्डियों के साथ फिसड्डियों का हमला भी झेला और दोनों का बखूबी सामना किया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा पेश किया गया बजट लोगों के हित में है. इसका फायदा निश्चित ही आमजन को मिलेगा. प्रतिपक्षी नेतागण अैर राहुल गांधी बजट को नहीं समझ सकते. इसलिए वह क्या कहते हैं, इसका कोई मतलब नहीं है.
HIGHLIGHTS
- कृषि कानूनों पर गुमराह कर रहे पिटे पॉलिटिकल प्लेयर्स
- विदेशी सेलिब्रिटीज के ट्वीट्स से कोई फर्क नहीं पड़ता
- किसानों से सरकार ने टकराव नहीं टॉक का रास्ता अपनाया