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Mulayam Singh Death:आखिर 'नेता जी' को कैसे मिली धरतीपुत्र की उपाधि, ये थीं मुख्य वजह

ज़मीन-जनता की समझ और मिट्टी से जुड़ा एक युग आज समाप्त हो गया. लोहिया जी की पाठशाला के सबसे सफल विद्यार्थी आज दुनिया को अलविदा करकर चले गए. मुलायम सिंह यादव को नेता जी के साथ धरतीपुत्र का तमगा भी मिला हुआ था.

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Sunder Singh
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file photo( Photo Credit : News Nation)

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ज़मीन-जनता की समझ और मिट्टी से जुड़ा एक युग आज समाप्त हो गया.  लोहिया जी की पाठशाला के सबसे सफल विद्यार्थी आज दुनिया को अलविदा करकर चले गए.  मुलायम सिंह यादव को नेता जी के साथ धरतीपुत्र का तमगा भी मिला हुआ था. देशभर में उन्हे लोग धरतीपुत्र के नाम से जानते थे. इसका कारण ये नहीं था कि वे 8 बार विधायक और 7 बार सांसद रहे. बल्की धरतीपुत्र के पीछे की बहुत ही रोचक कहानी है. अब जब धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव इस दुनिया में नहीं रहे. तब उनके जीवन की सारी कहानियां एक-एक कर निकल कर आ रही हैं. आइये जानते हैं नेता जी को आखिर धरतीपुत्र की उपाधी कहां से मिली.

4 वर्ष की आयु में  की थी पहली रैली अटेंड 
22 नवंबर 1939 को जन्‍में मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में विरोधियों को कई बार हार का सामना कराया था. लोहियावादी नेता मुलायम सिंह पिछड़ी जातियों और अल्‍पसंख्‍यकों के पैरोकार के रूप में जाने जाते रहे हैं.  आपको बता दें कि नेताजी  महज 4 वर्ष की आयु में रैली में  शामिल हुए थे. जब उनकी उम्र महज 14 वर्ष की थी तत्‍कालीन केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार के खिलाफ रैली निकाली थी. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर नहर रेट आंदोलन में हिस्‍सा लिया. यही नहीं इस आंदोलन का प्रतिनिधित्‍व करते हुए मुलायमय सिंह यादव को जेल भी जाना पड़ा था.

सक्रिय राजनीति में हुए शामिल 
 आपको बता दें कि वर्ष 1954 में नेता जी ने  सक्रिय राजनीति में एंट्री की थी. मुलायम सिंह यादव पहलवान थे. उन्होने अखाड़े में भी बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाई थी. इसके बाद 1967 में 28 वर्षीय मुलायम सिंह को अपनी सीट उपहार में देते हुए जसवंत नगर से इलेक्‍शन लड़वाया और मुलायम ने जीत हासिल कर सबसे कम उम्र वाले विधायक बन गए. नाथू सिंह ने ही मुलायम की मुलाकात डॉ राममनोहर लोहिया से करवायी थ. 1967 में जब छुआछूत जातीय व्‍यवस्‍था चरम पर थी उसी समय इस व्‍यवस्‍था का जमकर विरोध भी मुलायम सिंह यादव ने किया था.

ऐसे मिली धरतीपुत्र की उपाधी 
जानकारी के मुताबिक मुलायम धरतीपुत्र की उपाधी अपने गुरू से मिली थी. जब उन्होने जसवंतनगर सीट पर 1968, 1974 और 1977 में हुए मध्‍यावधि चुनाव में सामने वाले उम्मीद्वार को धूल चटा दी थी.  उसी वक्त सर्वहारा के हितों के लिए मुलायम सिंह ने आवाज उठाई. जब उन्हे नाथु सिंह ने धरतीपुत्र के नाम से नवाजा था. उसी वक्त से राजनीति में उनके नाम के आगे धरतीपुत्र भी जुड़ गया था. मुलायम सिंह की समाजवादी विचारधार और जनता में पकड़ मजबूत होने के चलते वे एक नहीं बल्की तीन बार यूपी की सत्ता पर काबिज हुए, इसके अलावा भारत के रक्षामंत्री का भी सफल कार्यकाल मुलायम सिंह यादव ने पूरा किया था.

HIGHLIGHTS

  • 8 बार विधायक और 7 बार सांसद रह चुके थे मुलायम सिंह यादव 
  • नेता जी बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के साथ अडियल थे
  • इन घटनाओं की वजह से पड़ा मुलायम सिंह यादव का नाम धरतीपुत्र 

Source : Sunder Singh

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