इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को राज्य सरकार निर्देश दिया कि वह मुस्लिम वक्फ बोर्ड बनाने पर विचार करे. अभी राज्य में शिया और सुन्नियों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि दो अलग-अलग वक्फ बोर्ड विधि संगत नहीं हैं. यह आदेश जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने मसर्रत हुसैन की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है.
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मसर्रत हुसैन नाम के एक शख्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों को खत्म कर मुलिस्म वक्फ बोर्ड बनाने की मांग की थी. मसर्रत हुसैन की दलील थी कि वक्फ अधिनियम की धारा 13 (2) के मुताबिक, राज्य सरकार चाहे तो शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों की अलग-अलग स्थापना कर सकती है. लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब प्रदेश में शिया वक्फ की संख्या कुल वक्फों से कम से कम 15% हो अथवा वक्फों की संपत्तियों से शिया वक्फों की कुल आय 15% हो.
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याचिका में उन्होंने कहा कि प्रदेश में न तो शिया वक्फ की संपत्तियां 15 फीसदी हैं और न ही इन संपत्तियों से इतनी आय है, लिहाजा अधिनियम की धारा 13 (2) के अनुसार प्रदेश में शिया और सुन्नी अलग-अलग वक्फ बोर्ड की स्थापना विधि सम्मत नहीं है. कोर्ट ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार को यह निर्देश दिए हैं.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो