कृषि क्षेत्र का विकास और मिशन रोजगार. सूबे में इन दो उद्देश्यों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लायी गई खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) उद्योग नीति का असर अब दिखने लगा है. इस नीति के चलते फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में बड़ी बड़ी कंपनियों ने राज्य में निवेश करने में रूचि दिखाई है. जिसके तहत इस क्षेत्र में अब तक 12970.56 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश प्रदेश को प्राप्त हुआ है. अब इस निवेश में इजाफा करने के लिए प्रदेश सरकार फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए नई पॉलिसी लाने पर विचार कर रही है. इस नई पॉलिसी में सूक्ष्म से लेकर बड़े उद्योग तक व्यापक पैमाने पर लाभान्वित होंगे. इसके तहत बड़े उद्योगों को सौ करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मिलना भी संभव होगा. पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार है और जल्दी ही इस मामले में सरकार निर्णय लेगी. सरकार को फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए नई पॉलिसी लाने की जरूरत उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2017 के तहत हुए भारी निवेश को देखते हुए महसूस की गई.
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उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक डॉ. आरके तोमर के अनुसार, "उत्तर प्रदेश असीम क्षमताओं वाला प्रदेश है. देश में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. देश में सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा राज्य भी यूपी ही है. यह भारत में प्वाइंटेड लौकी, मटर, आलू, कस्तूरी, तरबूज और कद्दू का सबसे बड़ा उत्पादक है. राज्य शकरकंद का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है. उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य भी है, जिसका देश में उत्पादित कुल दूध लगभग 17.6 प्रतिशत (23.3 मिलियन टन) है. आंकड़े बताते हैं कि आज प्रदेश में पैदा होने वाले खाद्यान्न का सिर्फ 6 प्रतिशत भाग ही प्रोसेस्ड हो पाता है."
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इसका संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे में किसानों की आमदनी में वृद्धि करने के लिए फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने का निर्णय लिया था. इस फैसले के तहत उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति -2017 लायी गई. जिसमें पूंजीगत अनुदान व ब्याज में छूट की सुविधा दिए जाने का ऐलान किया गया. नीति में दी गई छूट के चलते अब तक इस क्षेत्र में लगभग 12970.56 करोड़ रुपए का पूजी निवेश प्राप्त हुआ है. डॉ. तोमर के अनुसार, फरवरी 2018 में आयोजित उप्र इन्वेस्टर्स समिट-2018 में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में 15182.54 करोड़ रुपए के प्रस्ताव निजी क्षेत्र से प्राप्त हुए. इनमें से 8095 करोड़ के एमओयू जमीन पर फलान्वित हो चुके है. डॉ. तोमर बताते हैं कि उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति -2017 के तहत राज्य में फल एवं सब्जी एवं प्रसंस्करण के 76, ग्रेन मिलिंग के 336, तिलहन प्रसंस्करण के 23 , दाल प्रसंस्करण के 13, उपभोक्ता उत्पाद के 205, हर्बल उत्पाद के तीन, मांस प्रसंस्करण के तीन, रीफर वैन के 9 तथा 11 अन्य प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं.
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उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा प्रदेश में निजी क्षेत्र की 45 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसमें 1064.00 करोड़ का निवेश किया जा रहा है. इसी प्रकार राज्य औद्योगिक मिशन योजनान्तर्गत निजी क्षेत्र द्वारा स्थापित 105 शीतगृहों, 24 राइपिंग चैंबर, तीन मिनिमल प्रोसेसिंग इकाई, 434 पैक हाउस एवं 144 प्याज भंडारगृहों एवं 124 लो कास्ट प्रिजर्वेशन यूनिट की स्थापना से लगभग 152.44 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ है. इसके अलावा नीति में दी गई रियायतों के चलते ग्रामीण सूबे के क्षेत्रों में बड़ी संख्या युवा कारोबारियों ने आटा चक्की (ग्रेन मिलिंग) की यूनिट लगाई हैं. 336 आटा चक्की लगायी जा रही हैं.
सूबे में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार क्षेत्रवार कृषि उत्पादन के मुताबिक इकाईयां लगाई जा रही हैं. अलीगढ़, बरेली, बुलंदशहर, कानपुर देहात, जौनपुर और मथुरा में दूध से बने उत्पाद, औरैया और कासगंज में घी, वाराणसी व देवरिया में हरी मिर्च, अमरोहा, लखनऊ व सीतापुर में आम, बस्ती, गोरखपुर व सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल, कुशीनगर में केले के चिप्स तो पूर्वांचल में आलू व अन्य फसलों से जुड़ी इकाईयां लगाई जा रही हैं. इसी तरह पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश में मक्के की खेती को देखते हुए मक्का आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां लगाने पर सरकार का जोर है.
HIGHLIGHTS
- कृषि क्षेत्र का विकास और मिशन रोजगार
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का असर अब दिखने लगा है
- बड़ी बड़ी कंपनियों ने राज्य में निवेश करने में रूचि दिखाई