निर्भया के गुनहगारों को 'गरुड़ पुराण' सुनाने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन से अनुमति मांगी गई है. जेल में बंद कैदियों को सुधारने के लिए काम करने वाले प्रदीप रघुनंदन ने गत 12 जनवरी को तिहाड़ कारागार प्रशासन को पत्र लिखकर दोषियों को गरुड़ पुराण सुनाने की अनुमति मांगी है. हालांकि, अभी तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से इस सिलसिले में कोई जवाब नहीं मिला है. दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के चार दोषियों- विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार (31) और पवन (25) के खिलाफ एक फरवरी के लिए फिर से मृत्यु वारंट जारी किए.
निर्भया गैंगरेप के दोषियों का डेथ वारंट दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जारी कर दिया है. इसके मुताबिक अब 1 फरवरी की सुबह 6 बजे निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी दी जाएगी. इसी सिलसिले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने मेरठ के पवन जल्लाद को 30 जनवरी को ही दिल्ली में बुलाया है. इससे पहले शुक्रवार को निर्भया गैंगरेप के दोषियों की दया याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने एक बार फिर से इन दोषियों का डेथ वारंट जारी किया.
कानून दोषी की दया याचिका खारिज होने के बाद उसे 14 दिन का समय दिया जाता है. पटियाला हाउस कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सरकारी वकील इरफान ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर दी है. लिहाजा कोर्ट से नया डेथ वारंट जारी किया जाए. वकील ने कहा था कि ऐसी सूरत में दोषी मुकेश की ओर से दायर अर्जी का अब कोई औचित्य नहीं रह जाता, क्योंकि राष्ट्रपति दया अर्जी खारिज कर चुके हैं.
जानिए क्यों है पवन जल्लाद तिहाड़ जेल प्रशासन की पहली पसंद
- पहली वजह है कि पवन पुश्तैनी जल्लाद है. शरीर से मजबूत है.
- उसने पुरखों के साथ फांसी देने-दिलवाने का काम सीखा है.
- फांसी देते वक्त पवन जल्लाद से किसी भूल की गुंजाइश न के बराबर होगी.
- पवन की आंखों की रोशनी भी ठीक है.
- पवन जल्लाद मेरठ में रहता है जो दिल्ली के करीब है. ऐसे में पवन को लाने-जाने के वक्त भी ज्यादा देर का जोखिम तिहाड़ जेल प्रशासन को नहीं उठाना पड़ेगा.
- जरूरत पड़ने पर दिल्ली पुलिस की सुरक्षा में पवन जल्लाद को तिहाड़ प्रशासन दिल्ली ला सकता है.
- पवन जल्लाद ने कहा था कि मैं खानदानी जल्लाद हूं. इसमें मुझे शर्म नहीं लगती. मेरे परदादा लक्ष्मन जल्लाद, दादा कालू राम जल्लाद, पिता मम्मू जल्लाद थे. मतलब जल्लादी के इस खानदानी पेशे में मैं अब चौथी पीढ़ी का इकलौता जल्लाद हूं.
- पवन ने पहली फांसी दादा कालू राम जल्लाद के साथ पटियाला सेंट्रल जेल में दो भाइयों को दी थी. उस वक्त मेरी उम्र यही कोई 20-22 साल रही होगी. अब वह 58 साल का हो चुका है. दादा के साथ अब तक जिंदगी में पांच खूंखार मुजरिमों को फांसी पर टांग चुका है.
- दादा कालू राम के साथ आखिरी फांसी उसने बुलंदशहर के दुष्कर्म और हत्यारोपी मुजरिम को 1988 के आसपास लगाई थी. वह फांसी आगरा सेंट्रल जेल में लगाई गई थी.
- पवन को उत्तर प्रदेश सरकार से 5 हजार रुपये महीने मिलते हैं. आजकल एक फांसी लगाने का दाम 25 हजार रुपये मिलते हैं.
Source : News Nation Bureau