भव्य राम मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए केंद्र द्वारा स्थापित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर यहां निर्मोही अखाड़े से असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं. निमोर्ही अखाड़ा के 'सरपंच' राजा रामचंद्राचार्य ने कहा है कि नए ट्रस्ट में कई दोष हैं. उन्होंने कहा, "सरकार ने ट्रस्ट के गठन से पहले निर्मोही अखाड़े से सलाह नहीं ली. निर्मोही अखाड़ा को दिया गया प्रतिनिधित्व निर्थक है, क्योंकि प्रतिनिधि के पास शक्तियां नहीं हैं. हम जल्द ही बैठक करेंगे और विकल्पों पर अमल करेंगे."
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सूत्रों ने संकेत दिया कि निर्मोही अखाड़ा इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है. बुधवार को संतों की एक बैठक हुई, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा की गई. इस मुद्दे पर अगले सप्ताह एक और औपचारिक बैठक होने वाली है. केंद्र ने निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास को ट्रस्ट का सदस्य नियुक्त किया है, लेकिन संत इससे संतुष्ट नहीं हैं. निर्मोही अखाड़ा उस समय अयोध्या विवाद का पक्षकार बना, जब उसने 1985 में अयोध्या के उप-न्यायाधीश के यहां एक मुकदमा दायर किया, जिसमें विवादित ढांचे से सटे क्षेत्र राम चबूतरा में राम मंदिर बनाने की सहमति मांगी गई थी. अदालत ने हालांकि अनुमति देने से इनकार कर दिया था. वहीं निर्मोही अखाड़ा ने भूमि को पुन: प्राप्त करने और मंदिर के निर्माण के लिए अपना प्रयास जारी रखा.
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19 को होगी ट्रस्ट की पहली बैठक
राम मंदिर के निर्माण को लेकर दिल्ली में 19 फरवरी को ट्रस्ट की पहली बैठक होगी. इस मीटिंग में नए सदस्यों का चुनाव होगा. सूत्रों का कहना है कि इस मीटिंग में राम मंदिर के निर्माण के लिए तारीखों की घोषणा हो सकती है. बीजेपी नेता कामेश्वर चौपाल राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र' ट्रस्ट के पंद्रह सदस्यों में से एक हैं.
Source : IANS