उत्तर प्रदेश के कासगंज में हुई हिंसा की जांच एनआईए से कराए जाने की मांग को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को खारिज कर दी।
साथ ही अदालत ने हिंसा में जान गंवाने वाले चंदन गुप्ता को शहीद का दर्जा और उनके परिजनों को 50 लाख रुपये दिये जाने संबंधी आदेश राज्य सरकार को देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अब्दुल मोईन की पीठ ने कासगंज हिंसा संबंधी दिलीप कुमार श्रीवास्तव की याचिका का निपटारा करते हुए एनआई जांच की मांग खारिज कर दी।
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार में जान गंवाने वाले चंदन के लिए मुआवजे का ऐलान कर चुकी है और राज्य पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है, ऐसे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एएनआई) की कोई जरूरत नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हरी शंकर जैन ने दावा किया था कि सरकार दंगों में पीड़ितों को मुआवजा देने में दो समुदायों के लिए 'दोहरा नीति' अपनाती है।
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आपको बता दें कि कासगंज में 26 जनवरी को हुई हिंसा के मामले में पुलिस अब तक आठ मुकदमे दर्ज कर चुकी है। पुलिस ने बुधवार को कासगंज घटना के मुख्य आरोपी सलीम को गिरफ्तार किया।
इस मामले में अब तक 121 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। गणतंत्र दिवस के दिन दो पक्षों में हुई हिंसा में अभिषेक उर्फ चन्दन गुप्ता की मौत हो गई थी। चंदन की मौत के बाद हिंसा और भड़क उठी थी। भीड़ ने दुकानों, बसों और कारों को आग के हवाले कर दिया था।
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Source : News Nation Bureau