साल 2018 में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 68500 शिक्षकों की भर्ती परीक्षा करवाई थी. इस परीक्षा में दिव्यांग जन के लिए अप्लाई करने के लिए कोटा निर्धारित किया गया था, लेकिन भर्ती के दौरान इस मानक का ध्यान नहीं दिया गया. जिसकी वजह से प्रदेश के बड़ी संख्या में दिव्यांग शिक्षकों के तौर पर भर्ती होने से वंचित रह गए थे. इस लड़ाई को दिव्यांग अभ्यर्थी कोर्ट ले गए कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को मामले को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए थे, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी अभी तक विभाग ने अपनी गलती नहीं सुधारी. इस वजह से आज बड़ी संख्या में दिव्यांग बेरोजगार हो कर भटक रहे हैं. बेसिक शिक्षा विभाग के इस रवैये से नाराज अभ्यार्थी पिछले एक सप्ताह से विभाग के सामने धरने पर बैठे हैं लेकिन कोई भी उनकी सुधि लेने वाला नहीं है.
इसके पहले साल 2018 में शिक्षक दिवस से ठीक पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में शिक्षक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण 41, 556 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटे थे. राम मनोहर लोहिया लॉ कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अपने हाथों से 3 हजार नव नियुक्त सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र दिया था. आपको बता दें कि सूबे की योगी सरकार में यह सबसे बड़ी शिक्षकों की भर्ती है. 2018 में ही योगी सरकार ने 27 मई को सहायक अध्यापक के 68,500 पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की थी. इस परीक्षा का परिणाम 13 अगस्त को घोषित किया गया था. इसके बाद 22 अगस्त से 28 अगस्त तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हुआ था, जिसके बाद काउंसलिंग के जरिए इनके प्रमाण पत्रों और जिलों का आवंटन किया गया था.
यह भी पढ़ेंः69 हजार शिक्षक भर्ती: सरकार ने 31661 पदों पर चयन में गलती स्वीकारी, कहा- कम मेरिट वालों को मिल गई नियुक्ति
योगी सरकार की सबसे बड़ी शिक्षकों की भर्ती शुरू से ही विवादों में घिरी रही थी. इसकी बड़ी वजह खुद विभागीय अधिकारी हैं. इन अधिकारियों ने कोर्ट से लेकर सड़क तक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की फजीहत करवाई है. बेसिक शिक्षा विभाग ने जब नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थियों की पहली सूची जारी की तो उसमें 6127 अभ्यर्थी बाहर हो गए. बताया गया कि आरक्षण नियमों के चलते ऐसा हुआ है.
यह भी पढ़ेंःकोविड प्रोटोकॉल के तहत होगी 69 हजार शिक्षक भर्ती काउंसलिंग: सीएम योगी
वहीं इस भर्ती परीक्षा को लेकर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में 31661 पदों पर चयन में गलती होने की बात स्वीकार की है. सरकार ने माना कि कुछ कम मेरिट के लोगों को नियुक्ति मिल गई है. जबकि अधिक मेरिट वालों को नियुक्ति नहीं मिल सकी. महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एनआईसी और बेसिक शिक्षा परिषद से गलती हुई है. इस गलती की जांच के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है. उन्होंने कहा कि जो भी गलतियां हुई हैं उनको सुधारा जाएगा. प्रदेश सरकार गलत चयन रद्द करेगी. कम गुणांक वालों को दिया गया नियुक्ति पत्र निरस्त कर अधिक गुणांक पाने वालों को दिया जाएगा. संजय कुमार यादव व अन्य की ओर से दाखिल याचिका की गई है. 17 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. जस्टिस अजीत कुमार की एकल पीठ में सुनवाई हुई.
HIGHLIGHTS
- 2018 की शिक्षक भर्ती में दिव्यांगों को नहीं मिला न्याय
- प्रदेश सरकार ने कोर्ट में माना हुई भर्ती में हुई चूक
- बड़ी संख्या में दिव्यांग बेरोजगार सड़कों पर
Source : News Nation Bureau