अयोध्या (Ayodhya) में बाबरी मस्जिद (Babri Musjid) की तरफ से बने ट्रस्ट (Trust) में अयोध्या के किसी शख्स का नाम नहीं है, इसे लेकर मुस्लिम समाज दुखी है. अयोध्या मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) और हाजी महबूब (Haji Mahboob) ने कहा कि ट्रस्ट बनाने को लेकर ना ही उनसे कोई बात हुई है और ना ही वे लोग इसमें शामिल होना चाहते हैं. श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में अंतिम सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के दावे को खारिज कर दिया था और पूरी भूमि श्रीराम जन्मभूमि को सौंपते हुए सरकार को मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था.
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कोर्ट ने दिया था मस्जिद के लिए अलग जमीन देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी खास जगह पर मस्जिद के लिए भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राममंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से ट्रस्ट का गठन हो चुका है. अब पांच अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi in Ayodhya) भूमि पूजन करने आ रहे हैं.
लखनऊ में बुधवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से मस्जिद बनाने के लिए ट्रस्ट की घोषणा कर दी है. 15 सदस्यीय इस ट्रस्ट में अब तक नौ सदस्यों के नाम घोषित किए गए हैं. इसके सर्वेसर्वा वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी स्वयं बने हैं. जबकि बाबरी मस्जिद के लिए सालों लड़ाई लड़ने वाले पक्षकारों को कोई जगह नहीं दी गई है. इकबाल अंसारी ने इस मामले में कहा कि रौनाही के धन्नीपुर में जहां मस्जिद बनेगी वहां के लोगों की भी उपेक्षा की गई है.
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उनका कहना है कि पक्षकार फारूक अहमद, मौलाना बादशाह खान,अब्दुल रहमान, मिसबाहुद्दीन और हाजी महबूब की भी उपेक्षा हुई है. हमने तो पहले ही कह दिया था कि वक्फ बोर्ड की अयोध्या से बाहर बनने वाली मस्जिद से उनका कोई लेना देना नहीं होगा. हाजी महबूब समेत कई मुस्लिम धर्मगुरु पहले भी मस्जिद के लिये दी गयी जगह को लेकर नाराज रहे हैं और अब ट्रस्ट में ना शामिल किये जाने को लेकर बेहद नाराज हैं.
Source : News Nation Bureau