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खुशखबरी: नोएडावासी अब साफ हवा में ले सकेंगे सांस, लगेगी वायु प्रदूषण पर लगाम, अपनाई जाएगी इजराइली तकनीक

Noida: नोएडा प्राधिकरण इस योजना को धरातल पर उतरने के लिए तैयारियों में जुटा हुआ है. इसके लिए शहर के 3757.57 एकड़ एरिया में सिंचाई के लिए पाइप लाइन बिछाई जाएगी.

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Yashodhan.Sharma
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दिल्ली से सटे नोएडा में रहने वाले लोगों को अब वायु प्रदूषण की समस्या से निजात मिलने वाली है. शहर में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब पौधों की सिंचाई इजराइल तकनीकी (ड्रिप) से की जाएगी, जिसमें सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में लगे टर्शरी ट्रीटमेंट प्लांट (टीटीपी) का पानी इस्तेमाल में लिया जाएगा.

नोएडा प्राधिकरण इस योजना को धरातल पर उतरने के लिए तैयारियों में जुटा हुआ है. इसके लिए शहर के 3757.57 एकड़ एरिया में सिंचाई के लिए पाइप लाइन बिछाई जाएगी और जगह-जगह वाटर टैंक तैयार किए जाएंगे. यह पूरा सिस्टम सोलर एनर्जी के जरिये संचालित होगा. इसका पूरा खर्च वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) उठाएगा. आदेश दिया गया है कि इसका प्रस्ताव तैयार कर कमेटी में प्रस्तुत किया जाए.

ग्रीन बेल्ट सहित कई पार्क का हुआ निरीक्षण

बता दें कि पिछले दिनों वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की ओर से सदस्य तकनीकी डा एनपी शुक्ला ने नोएडा विजिट किया. इस दौरान उन्होंने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए किए जा रहे प्रयास को देखने के लिए  उद्यान विभाग के साथ कई पार्क, ग्रीन बेल्ट का निरीक्षण किया. उन्होंने यहां देखा कि प्राधिकरण की ओर से पार्कों व ग्रीन बेल्ट, सेंटर वर्ज की सिंचाई के लिए एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन यह जल टैंकरों के माध्यम से लाया जा रहा है, जिसमें समय व पैसा की बर्बादी हो रही है. इस प्रक्रिया में मैन पावर का अधिक इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें चूक होने के भी आसार हैं.

बड़ा बजट होने वाला है खर्च

प्राधिकरण इजराइली तकनीकी का इस्तेमाल कर अपने ग्रीन एरिया की सिंचाई कराएगा. इससे कभी भी पौधा व ग्रीन बेल्ट पानी की कमी से सूखेगा नहीं. चूंकि इस योजना को लागू करने के लिए बहुत बड़ा बजट खर्च होने वाला है, इसलिए इस पर प्राधिकरण ने इस योजना पर फंड की कमी का हवाला दिया.

इस पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के पास काफी फंड है, जो वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के तहत जुर्माना के रूप में वसूला गया है. इसका इस्तेमाल वायु व जल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए किया जा सकता है. इसके बाद प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह योजना को धरातल पर उतरने का प्रस्ताव तैयार कर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करे, बजट की चिंता भूल जाए. 

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