मुगलिया राजधानी रहे आगरा में 400 साल से ज्यादा पुरानी करीब 80 इमारतें हैं। वहीं निगम के सर्वे में 156 जर्जर भवन सामने आए हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं। यही नहीं ज्यादातर भवनों में अभी भी लोग रहते और व्यापार करते नजर आ रहे हैं । ऐसे में क्या हादसे में इंतजार कर रहा प्रशासन । देखिये आगरा से ये रिपोर्ट- बारिश के दौरान लखनऊ और उन्नाव में जर्जर इमारतों के गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई। आगरा में भी लखनऊ से ज्यादा 156 जर्जर इमारतें हैं, जिसे नगर निगम ने कंडम घोषित कर रखा है। श्रीराम बरात से पहले निगम ने इनकी सूची सार्वजनिक की है। इन्हें गिराने की कार्रवाई पुलिस और प्रशासन को करनी है। यह सभी जर्जर इमारतें पुराने शहर में हैं, जहां एक-एक इमारत में 40 से 100 तक दुकानें या गोदाम बनाकर कारोबार हो रहा है। हमेशा हादसे की संभावना बनी रहती है।
मुगलिया राजधानी रहे आगरा में 400 साल से ज्यादा पुरानी करीब 80 इमारतें हैं। वहीं निगम के सर्वे में 156 जर्जर भवन सामने आए हैं, जो क भी भी गिर सकते हैं। दो दिन की बारिश में इन इमारतों के गिरने का खतरा बढ़ गया है। नगर निगम से गिरासू घोषित होने के बाद भी जर्जर भवनों में लोग रह रहे हैं और कारोबार कर रहे हैं। इन्हें हर बार बारिश से पहले नोटिस जारी किया जाता है। आगरा में सेब का बाजार, कचहरी घाट, धूलियागंज, घटिया चौराहा, पथवारी रोड, कचहरी घाट रोड, छत्ता बाजार, बेलनगंज रोड, सहित 156 भवनों को जर्जर घोषित किया जा चुका है।
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार पुराने शहर में जो इमारतें जर्जर और गिरासू हो चुकी हैं, उनका सर्वे कराकर खाली करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। अब आगे की कार्रवाई पुलिस और प्रशासन को करनी है । हम पुलिस अधिकारियों के संपर्क में हैं । साथ ही लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि वो जल्द जर्जर भवनों को खाली कर दें ।।
Source : Vinit Dubey