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नाग पंचमी के दिन इंसान के शरीर में प्रवेश करती है भैसासुर की आत्मा! खाने लगता है घास और भूसा... वीडियो वायरल 

एक मनुष्य का पशुओं की तरह व्यवहार करना और पशुओं की तरह खाना सुनने और देखने में अजीब जरूर लगता है और कुछ लोग इसे आस्था तो कुछ अंधविश्वास का नाम देते हैं. 

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Pradeep Singh
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बुद्धिराम पर देवता का वास( Photo Credit : News Nation)

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महाराजगंज जिले में इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक इंसान मंदिर परिसर के भीतर पशुओं के खाने के लिए बनाई गई मिट्टी के बर्तन में पशुओं का भोजन भूसा और चारा खाते हुए नजर आ रहा है. इस अजीबोगरीब शख्स को देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी हुई है. ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के हर तीसरे साल इस व्यक्ति के शरीर में भस्मासुर प्रवेश कर जाते हैं जिससे वह इस तरह का व्यवहार कर पशुओं का भोजन भूसा और चारा खाता है.

पशुओं की तरह भोजन कर रहा यह इंसान महाराजगंज जिले के कोल्हुई थाना क्षेत्र के रुद्रपुर शिवनाथ गांव का रहने वाला है और इसका नाम बुद्धिराम है. बुद्धिराम पिछले 45 सालों से नागपंचमी त्यौहार के हर तीसरे साल, गांव में ही स्थित माता के मंदिर में स्थापित भैंसासुर की प्रतिमा के सामने पशुओं की तरह ही भूसा और चारा खाता है. बुद्धिराम का मानना है कि नाग पंचमी के दिन उसके शरीर में भैंसासुर का प्रवेश हो जाता है जिससे वह पशुओं की तरह व्यवहार करता है. 

बुद्धिराम का मानना है कि लगभग 40 से 45 साल पहले वह फुटबॉल खेलने जा रहा था तभी रास्ते में वह लघुशंका करने लगा. लेकिन उसे नहीं पता था कि वह मंदिर का स्थान है. लघुशंका करने के बाद उसके शरीर में भैंसासुर का प्रवेश हो गया. काफी दिनों तक वह अजीब हरकतें करने लगा. घरवालों ने उसकी हरकतों को देख कई जगहों पर पूजा पाठ कराया. काफी पूजा-पाठ के बाद उसे शांति तो मिली लेकिन उसके बाद नाग पंचमी के हर तीसरे साल उसके शरीर में भैंसासुर का प्रवेश हो जाता है और वह पशुओं जैसी हरकत कर मंदिर में पूजा पाठ करने लगता है. 

बुद्धिराम पर देवता का वास मानकर उसे देखने और पूजा पाठ करने के लिए लोग काफी दूर-दूर से यहां पर आते हैं. लोग इस दिन बुद्धिराम के शरीर में प्रवेश किये देवता भैसासुर को प्रसाद के रूप में घास भूसा खिलाते हैं और दर्शन करने आते हैं . बुद्धिराम ने बताया कि जब सभी लोग दर्शन करके चले जाते हैं तो दो 4 घंटे बाद फिर वह पहले जैसे हो जाता है. बुद्धिराम का मानना है कि जब से वह इस तरह कर रहे हैं तब से उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती है.

एक मनुष्य का पशुओं की तरह व्यवहार करना और पशुओं की तरह खाना सुनने और देखने में अजीब जरूर लगता है और कुछ लोग इसे आस्था तो कुछ अंधविश्वास का नाम देते हैं. 

Nag Panchami eating grass soul of Bhasasur human body
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