लोकसभा चुनाव 2019 की लड़ाई महासंग्राम से कम नहीं है. खासकर 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में लोगों का मिजाज समझने में सभी दल लगे हुए हैं. इस चुनाव में राम मंदिर बड़ा मुद्दा होगा इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है. बुधवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. मध्यस्थता के लिए किसी को नियुक्त किया जाए या नहीं? इस पर न्यूज स्टेट ने अपने YouTube चैनल पर लोगों से राय मांगी थी. करीब 3000 से अधिक लोगों ने अपनी राय के जरिए ये बताया कि मध्यस्थता हो या नहीं. आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि 77% लोग मध्यस्थता के पक्ष में हैं.
यह भी पढ़ेंः जजों ने कहा, बाबर का किया तो हम नहीं बदल सकते, जानें अयोध्या मामले की सुनवाई से जुड़ी 10 बड़ी बातें
बता दें सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस बोबड़े बोले, ये महज भूमि विवाद का मसला नहीं है. ये लोगों की भावनाओं से जुड़ा मसला है. हम इस फैसले के आने के बाद आने वाले रिजल्ट को लेकर सतर्क हैं. मध्यस्थता की नाकाम कोशिशों की दलीलों को लेकर जस्टिस बोबड़े बोले- हम अतीत को नहीं बदल सकते, पर आगे तो फैसला ले सकते हैं. कोर्ट में एक वकील ने दलील थी कि मध्यस्थता को लेकर अगर सभी पक्ष राजी भी हो जाते हैं, तो भी जनता मेडिएशन के रिजल्ट को स्वीकार नहीं करेगी. निर्मोही अखाड़े को छोड़कर रामलला विराजमान समेत हिंदू पक्ष के बाकी वकीलों ने मध्यस्थता का विरोध किया. यूपी सरकार ने भी अवहवहारिक बताया, जबकि मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार है.
यह भी पढ़ेंः अयोध्या विवाद : क्या समझौता ही एकमात्र रास्ता है?
जस्टिस बोबड़े बोले- यानी आप पहले से मानकर चल रहे हैं. मीडिएशन फेल ही होगा. ये पूर्वाग्रह होगा. ये आस्था, भावना का मसला है, लोगो के दिल और दिमाग से जुड़ा मसला है. जस्टिस बोबड़े ने कहा, एक बार मध्यस्थता शुरू हो जाएगी तो इसकी रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए.जस्टिस बोबड़े ने कहा, सिर्फ एक व्यक्ति मध्यस्थता नहीं करेगा, इसके लिए पूरा पैनल होगा. मध्यस्थता का मतलब सहमति बनाना है. मध्यस्थता को गोपनीय रखा जाएगा. जस्टिस बोबड़े ने कहा, मध्यस्थता विफल होगी, यह जरूरी नहीं है.
यह भी पढ़ेंः मैं विभीषण और अयोध्या में राम मंदिर के विरोधी 'बाबरी रावण' : वसीम रिजवी
हिन्दू पक्षकारों की ओर से मेडिएशन की कोशिश पर ऐतराज को लेकर जस्टिस बोबड़े ने कहा, हम आपको यही समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि हमने भी इतिहास पढ़ा है, बाबर का आक्रमण या फिर जिसने भी विध्वंस किया हो, पर अब अतीत को तो नहीं बदला जा सकता है न. हां, वर्तमान हमारे हाथ में है. जुस्टिस चंद्रचूड़ ने अहम सवाल करते हुए कहा, क्या करोड़ों लोगो को मीडिएशन के परिणाम से बाध्य कर पाना संभव होगा.
यह भी पढ़ेंः ‘अयोध्या में राम मंदिर बने, लखनऊ में मस्जिद'
मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए राजीव धवन ने मीडिएशन को लेकर कोर्ट के सुझाव से सहमति जताई. कहा- बातचीत गोपनीय रहनी चाहिए. अगर सभी पक्ष इसके लिए राजी भी न हो तो भो कोर्ट ऐसा आदेश दे सकता है. सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद केस को कोर्ट की ओर से नियुक्त मध्यस्थ के जरिए सुलझाने के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है.
यह भी पढ़ेंः सुब्रहमण्यम स्वामी ने कहा, अयोध्या में मंदिर बनने से कोई ताकत रोक नहीं सकती
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि बेहतर होगा सभी पक्ष बातचीत के जरिए किसी हल तक पहुंचने के लिए कोशिशें करें. निर्मोही अखाड़ा ने इस पर सहमति जताई थी, लेकिन रामलला विराजमान कोर्ट के इस सुझाव से सहमत नहीं था. उनका कहना है कि ऐसी कोशिशें पहले भी विफल हो चुकी हैं. मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि अगर बातचीत गोपनीय रहे, तो कुछ हल निकल सकता है.
यह भी पढ़ेंः 'न भगवान वोट देते हैं और न ही अल्लाह. चुनाव में केवल लोग वोट देते हैं'
जानकार बताते हैं कि CPC की धारा 89 के तहत कोर्ट को ये अधिकार है कि वो किसी दीवानी मामले को मध्यस्थता के लिए भेज सकता है . इसके लिए ज़रूरी नहीं कि सभी पक्ष मध्यस्थता के लिए राजी ही हो, उनके बिना भी कोर्ट चाहे, तो मध्यस्थता का आदेश सकता है.
Source : News Nation Bureau