उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कहा है कि वह कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर राज्य में पंचायत चुनाव कराने की इच्छा नहीं रखती है, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए ऐसा करना पड़ा, ताकि 10 मई तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो सके. एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में चुनाव होने वाले थे. महामारी के कारण पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन में देरी हुई. याचिकाओं और उच्च न्यायालय के बाद के फैसले ने राज्य सरकार को चुनाव कराने के लिए मजबूर किया.
प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य के खिलाफ विनोद उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 4 फरवरी के अपने आदेश में राज्य निर्वाचन आयोग को 30 अप्रैल तक पंचायतों के लिए चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया. 15 मार्च तक आरक्षण और आवंटन की प्रक्रिया करने का निर्देश दिया.
राज्य सरकार ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पंचायत चुनाव करवाए गए थे. चार चरण के पंचायत चुनाव 15 अप्रैल से शुरू हुए और मतों की गिनती और परिणाम की घोषणा 2 मई को होगी. प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार मतदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
CM योगी आदित्यनाथ बोले- अपनी नाकामी छिपा रही AAP सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर साधा निशाना है. सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार अपनी नाकामयाबियों को छिपाने के लिए दूसरों पर निराधार आरोप प्रत्यारोप लगाकर जनता का ध्यान भटकाना चाहती है. राजनीति का यह अभद्र और घटिया आचरण है. हम इसकी निंदा करते हैं.
उत्तर प्रदेश के सीएम ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा कि आज इनका एक और कारनामा उस समय भी देखने को मिला जब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चल रही उच्च स्तरीय बैठक, जिसमें देश के कई वरिष्ठ मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्रीगण भी मौजूद थे, उस बैठक की गोपनीयता को भंग कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास इन्होंने किया.
HIGHLIGHTS
- कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पंचायत चुनाव करवाए गए
- 15 मार्च तक आरक्षण और आवंटन की प्रक्रिया करने का निर्देश दिया
- उत्तर प्रदेश में 26 अप्रैल को चल रहा है चौथे चरण का मतदान
Source : News Nation Bureau