राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी रहे पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया. वाराणसी के रहने वाले आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित ने करीब 90 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. शनिवार सुबह करीब 6.45 बजे वाराणसी में शरीर त्याग दिए. वह पिछले कुछ समय से बीमार चल थे और गंभीर बीमारी की चपेट में थे. उनके निधन की खबर फैलने के बाद काशी और अयोध्या के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई. अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पूजन में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित की मुख्य भूमिका थी. इनकी अगुवाई में 121 पुजारियों ने अनुष्ठान को संपन्न किया था. प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया था. पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है.
पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया X पर लिखा, ''देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला. दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे. काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला. उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.
आज सुबह ज्यादा बिगड़ गई थी तबीयत
उनके निधन की जानकारी परिवार के लोगों ने दी. पारिवारिक सदस्य ने बताया कि उनकी तबीयत पहले से खराब चल रही थी. आज अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई, जिसके कुछ ही देर बाद उनका निधन हो गया. भारतीय सनातन संस्कृति और परंपरा में उनकी गहरी आस्था थी. बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लक्ष्मीकांत दीक्षित का प्रमुख पुजारी के तौर पर अहम रोल था. लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा-पद्धति में सिद्धहस्त थे. साथ ही वो वाराणसी के मीरघाट स्थित साङ्गवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रहे.
Source : News Nation Bureau