मथुरा जिले के नंद बाबा मंदिर के परिसर में नमाज अदा करने के लिए गिरफ्तार फैजल खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने जमानत अर्जी को यह देखते हुए मंजूरी दी कि रिकॉर्ड पर मुद्दे को देखते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और दाताराम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश के एक मामले में और एक अन्य (2018) 3 एससीसी 22 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए और मामले के गुणों पर कोई राय व्यक्त किए बिना, आवेदक को जमानत पर रिहा किया जा सकता है. हालांकि कोर्ट ने खान को ट्रायल के समापन तक सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि 1 नवंबर को मथुरा के बरसाना पुलिस स्टेशन में खान के खिलाफ धारा 153-ए और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी. उस पर यह आरोप लगाया गया था कि खान और सह-अभियुक्त चांद मोहम्मद ने पुजारी की सहमति के बिना मंदिर परिसर में नमाज अदा की थी. घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.
फैजल खान पर विदेशी धन लेने का भी आरोप लगाया गया था. उनके वकील ने तर्क दिया था कि आवेदक एक सामाजिक कार्यकर्ता है, जिसने 'खुदाई खिदमतगार' आंदोलन को पुनर्जीवित किया है और पिछले 25 वर्षों से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए काम कर रहा है. इसी के मद्देनजर उन्होंने मंदिर में प्रवेश किया था. वकील ने कहा कि मंदिर के मुख्य पुजारी ने खान को 'प्रसाद' और दोपहर का खाना भी दिया था, जिन्होंने उन्हें आशीर्वाद भी दिया. इसकी जानकारी तस्वीरों को देख कर मिल सकती है.
वकील ने आगे कहा, "आवेदक का समाज के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का कोई इरादा नहीं था और उसने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं किया, बल्कि उसने पुजारी की अनुमति से मंदिर के बाहर नमाज की पेशकश की जैसा कि वायरल तस्वीरों से स्पष्ट है." दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत दी और खान को मुकदमे में सहयोग करने और अभियोजन पक्ष के गवाहों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया.
Source : News Nation Bureau