अब कोरोना का होगा अंत, KGMU में Covid-19 मरीजों का इस तरीके से होगा इलाज

कोविड-19 से संक्रमण मुक्त होने वाले किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पहले रेजीडेंट डॉक्टर तौसीफ खान कोरोना वायरस से संक्रमित अन्य गंभीर मरीजों का जीवन अपना प्लाज्मा दान कर बचायेंगे.

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Deepak Pandey
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कोरोना वायरस( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कोविड-19 (Covid-19) से संक्रमण मुक्त होने वाले किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पहले रेजीडेंट डॉक्टर तौसीफ खान कोरोना वायरस से संक्रमित अन्य गंभीर मरीजों का जीवन अपना प्लाज्मा दान कर बचायेंगे. उन्होंने इस उद्देश्य के लिये रमजान के पहले दिन शनिवार को रोजा रख कर अपने रक्त का नमूना केजीएमयू को दिया. उनके रक्त की जांच ट्रांसफयूजन मेडिसिन विभाग में हो गयी और उनकी जांच में सब ठीक पाया गया. डॉ तौसीफ के शरीर से 500 मिली लीटर प्लाज्मा निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. उनके शरीर से जो प्लाज्मा निकाला जाएगा, वह कोरोना वायरस से संक्रमित कम से कम दो मरीजों के इलाज में काम आएगा.

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केजीएमयू की ट्रांसफयूजन मेडिसिन विभाग प्रमुख डा तूलिका चंद्रा ने शनिवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 के गंभीर रोगियों के इलाज पर काम शनिवार से शुरू हो गया.’’ उन्होंने बताया, इस सिलसिले में केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर तौसीफ खान के रक्त का नमूना आज लिया गया, जांच के बाद उनके रक्त में एंटीबाडीज की स्थिति काफी बेहतर पायी गयी. शाम में उनके शरीर से प्लाज्मा निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. उनके शरीर से एंटीबाडी वाला 500 मिलीलीटर प्लाज्मा, 'प्लाज्मा फेरेसिस' विधि से निकाला जा रहा है.

इस प्रकिया में करीब डेढ. से दो घंटे का समय लगेगा. इसके बाद हम इस प्लाज्मा को सुरक्षित रूप से रख लेंगे. डॉ चंद्रा से यह पूछा गया कि प्लाज्मा थेरेपी की सफलता की संभावना कितनी है, इस पर उन्होंने बताया कि अभी तो काफी अच्छा है तभी पूरे देश ने प्लाज्मा थेरेपी को धीरे धीरे अपनाया जा रहा है. अभी तक पूरी दुनिया में केवल पांच-छह कोविड 19 मरीजों पर ही प्लाज्मा थेरेपी के जरिये इलाज हुआ है. लेकिन जिन भी रोगियों में इस थेरेपी को अपनाया गया है उसके काफी अच्छे परिणाम आये है और वे ठीक हो गये. केजीएमयू के पहले रेजीडेंट डाक्टर तौसीफ खान जो 17 मार्च को एक कोरोना मरीज के संपर्क में आकर संक्रमित हुये थे.

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वह सात अप्रैल को संक्रमण मुक्त होने के बाद 14 दिनों के पृथक-वास में गये थे. अब वह एक बार फिर केजीएमयू में अपनी डयूटी करने को तैयार हैं. उन्होंने बताया ,मुझसे मेडिसिन विभाग के डॉ डी हिंमाशु, जो कि कोविड 19 मरीजों की देखभाल कर रहे हैं, ने पूछा कि क्या मैं पहला प्लाज्मा डोनर बनना चाहूंगा. मैंने इसके लिये तुरंत हां कर दी क्योंकि रमजान के पाक महीने में अगर मैं किसी मरीज की जान बचाने के काम आ सकूं तो इससे बेहतर क्या होगा. डॉ चंद्रा के मुताबिक प्लाज्मा निकालने के बाद इसे कोरोना वायरस संक्रमित अन्य गंभीर मरीजों के शरीर में चढ़ाने की प्रक्रिया सोमवार या मंगलवार को शुरू हो सकती है.

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