देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता की कमी के कारण कोरोना संक्रमितों की हो रही मौतों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में केंद्र सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है. ये याचिका मानवाधिकार कार्यकर्ता विष्णु कुमार गुप्ता द्वारा दाखिल की गई है. दाखिल याचिका में कहा गया है कि देश के जिला अस्पतालों एवं निजी अस्पतालों में न तो ऑक्सीजन प्लांट हैं और न ही ऑक्सीजन के भण्डारण की व्यवस्था, जबकि इन जगहों पर कम समय व कम खर्चे पर एक महीने में पीएसए प्लांट लगाये जा सकते हैं. ऐसे एक प्लांट को लगाने में केवल उतनी लागत आती है, जितनी रकम कई अस्पताल हर वर्ष अपने लिये ऑक्सीजन खरीदने में खर्च कर देते हैं.
याचिका में कहा गया है कि हमारे देश में ऑक्सीजन का बफर स्टॉक न होने से ऑक्सीजन की किल्लत बनी हुई है. यदि सरकार ने आम आदमी के संविधान प्रदत्त जीवन जीने के अधिकार को ध्यान में रखते हुये विगत वर्ष के कोरोना संकट को देखते हुये ऑक्सीजन का बफर स्टॉक एवं उत्पादन / आपूर्ति पर ध्यान रखा जाता, तो ऐसी भयावह स्थिति पैदा नहीं होती. एडवोकेट गुप्ता का कहना है कि सरकार इस महामारी का आंकलन करने में फेल हो गई है. कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर में आने की संभावना जतायी जा रही है, इसलिये सरकार का प्राथमिक दायित्व बन जाता है कि वर्तमान एवं भविष्य की ऑक्सीजन की स्थिति को देखते हुए अविलम्ब देश के सभी सरकारी जिला अस्पतालों एवं निजी अस्पतालों में पीएसए प्लांट लगवाना सुनिश्चित करे.
इसके साथ ही यचिका में कहा गया है कि कोरोना द्वारा जल्दी अपनी चपेट में लिये जा रहे हार्ट, कैंसर, हाइपरटेंशन व मधुमेह की बीमारी से ग्रसित बुजुर्गों, युवकों व नवयुवकों की जान बचाना भी सरकार का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए. इसलिए इनका प्राथमिकता के आधार पर तत्काल टीकाकरण कराये जाने के लिये भी केन्द्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को आदेशित करने की प्रार्थना आयोग से की गई है. हालांकि इसी मसले पर एडवोकेट गुप्ता ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी उप्र की अति चिन्ताजनक स्थिति सुधारने और पीएसए प्लांट को लेकर पत्र भी भेजा है.
HIGHLIGHTS
- ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों पर याचिका
- आने वाली तीसरी सहर के लिए तैयार रहने का भी आग्रह
- मोदी सरकार भयावहता का आकलन करने में असफल