पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वाराणसी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार कुछ राजनीतिक दलों को बताया. उन्होंने कहा कि ये लोग छल और भ्रम फैलाने का काम करते हैं. दशकों तक इन्होंने किसानों को छला है. जिसकी वजह से किसान आशंकित रहते हैं. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है.
-पीएम मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि जब इतिहास छल का रहा हो तो दो बातें स्वाभाविक हैं.पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है. दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है.
-पीएम मोदी ने कहा आगे कहा कि पहले के शासनकालों में एमएसपी तो घोषित होता था, लेकिन इस पर खरीद बहुत कम की जाती थी. सालों तक एमएसपी के नाम पर किसानों को छला गया. किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे. लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे. यानि कर्ज़माफी को लेकर भी छल किया गया.
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-किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं. लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे. यानि योजनाओं के नाम पर भी किसानों को छला जाता था.
-कृषि कानूनों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि इसे लेकर अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है. जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है.
-उन्होंने कहा कि अब ऐसा ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था. लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है.
-कांग्रेस शासन काल में किसानों को लेकर क्या काम किया गया इसके बारे में भी पीएम मोदी ने आंकड़ों के साथ बताया. उन्होंने कहा कि सिर्फ दाल की ही बात करें तो 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग साढ़े 6 सौ करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गईं. लेकिन इसके बाद के 5 सालों में हमने लगभग 49 हज़ार करोड़ रुपए की दालें खरीदी हैं यानि लगभग 75 गुणा बढ़ोतरी.
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-धान की खरीद को लेकर उन्होंने कहा कि 2014 से पहले के 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था. लेकिन इसके बाद के 5 सालों में 5 लाख करोड़ रुपए धान के MSP के रूप में किसानों तक हमने पहुंचाए हैं. यानि लगभग ढाई गुणा ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है.
-उन्होंने आगे बताया कि 2014 से पहले के 5 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला. वहीं हमारे 5 सालों में 3 लाख करोड़ रुपए गेहूं किसानों को मिल चुका है यानि लगभग 2 गुणा.
Source : News Nation Bureau